मैं हर दिन कही न कही किसी ना किसी रूप में ये अंतर जरूर देखता हु की कही गरीबी-अमीरी का, तो कही छोटे- बड़े का ,कही दिखावे की बनावटी दुनिया का ,जबकि सब लोग जानते है वो इस दुनिया में कुछ ही दिन के मेहमान है हर कोई सच्चाई को जानते हुए भी उससे मुह चुराता है
क्यों हम अलग थलग पड़े हुए है क्यों हमारे अन्दर अहम् भरा हुआ है क्यों हम एक दुसरे के साथ प्यार से नही रह सकते है हमको इस बारे में सोचना होगा नही तो हम और हमारे बीच के रिश्ते और खुद हम नष्ट हो जायेंगे
हे ईश्वर कृपया हमारा ह्रदय इतना कठोर मत बनाइए की हम अपने आपको भूल जाए
क्यों हम अलग थलग पड़े हुए है क्यों हमारे अन्दर अहम् भरा हुआ है क्यों हम एक दुसरे के साथ प्यार से नही रह सकते है हमको इस बारे में सोचना होगा नही तो हम और हमारे बीच के रिश्ते और खुद हम नष्ट हो जायेंगे
हे ईश्वर कृपया हमारा ह्रदय इतना कठोर मत बनाइए की हम अपने आपको भूल जाए

0 comments:
Post a Comment