- जिंदगी एक अनसुलझी पहेली सी हो हो गई है,
थकी सी हारी सी खंडहर की तरह बेजान हो गई है,
कोई पूछता है तो शब्द नही आते है जुबा पर ,
कुछ खो गया हो जैसे इसका ये अकेली सी हो गई है ,
जिंदगी एक अनसुलझी पहेली सी हो हो गई है, - एक मुस्कान बहुत निश्चल होती है,
हमारी नन्ही हथेलियों को छुकर के जाने हमसे क्या कहती है,
उसकी अनजान सी भाषा मेरे निर्मल मन को छुकर के,
एक अन्जाना सा एहसास दे जाती है , - बहुत गुनाह किया मेरे हमसफ़र तुझको अपने से जुदा करके
लेकिन ये वक़्त की मजबूरी थी जो कभी चाहते थे जिंदगी से बढ़कर
वो कुछ लम्हों के लिए खफा हुए मुझसे
की वक़्त का हर लम्हा पूछता है मुझसे
कैसे कटे उनके बिन
हम भी कुछ सोचते है
कुछ कहते कहते मनसे
भीग जाते है अपने आनुओ से
ये बारिस है अति है जाती है
लेकिन एक मीठा सा दर्द जो समेटे हुए है अपने अंदर
उसका भी एहसास करा जाती है
हमे भी इन्तजार रहता है
की कब वो पल आएगा
और वो जो खफा है
हमसे जो जुड़ा है
खो गए है जो मुझसे मेरे पल
वो मिल जायेंगे
वो मिल जाएंगे
दोस्ती तो एक अहसास है ,जो एकअटूट रिश्ते की तरह होता है ,कभी न टूटने वाला ,
- जो हर मोड़ पर हमारे साथ होता है ,चाहे हम उस वक़्त सही हो या गलत हो,इन सबकी परवाह किया बिना हमारे साथ चलता रहता है,उसे इन सब बातो से कोई लेना देना नहीं की ये समाज उसे क्या कहेगा ,लोग क्या कहेंगेइन सबकी परवाह किये बिना संग चलता रहता है हमारे ……
- मै सिर्फ उनसे प्यार करता हूँ जो मुझे प्यार नही करते क्योकि जो मुझे प्यार करते है उनके करीब तो मै हमेशा से ही हूँ लेकिन जिन्हें मै नही जनता हु उनसे प्यार करने का मजा ही कुछ और है,उनके साथ बात करना उनके संग घूमना रहना उन पलों में जीना रहना उनके संग बाते करने में अलग ही मजा आता है ,और उन पलों को describe करना सबके बस की बात नहीं है, हाँ ये जरूर है की हर व्यक्ति का नजरिया अपना खुद अलग ही तरीके का होता है ,जैसे अपनी हाथ की पांच उंगलियाँ बराबर नहीं होती है वैसे ही हर व्यक्ति का नजरियाँ अलग होता है॥
- jindgi ka ek safar to maine ji liya dosto,
par kai safar hai baki abhi bhi
jindgi khubsurat lmha hai kisi ke liye to
kisi ke liye kaante ka taaj hai dosto - कभी कभी हमारे जीवन में बहुत उथल पुथल होती है लेकिन हम क्या कर सकते है हम मजबूर होते है उन परिस्थितियों के लिए क्योकि उनपर हमारा नियंत्रण नही होता है और उसका एक मात्र यही कारण होता है की दिल पर सभी का जोर नही चलता क्योकि दिल सिर्फ अपने तरीके से चलता है अपनी करता है उस पर हमारा बस नही चलता है और हम यही सोचते रहते है की कैसे भी इसको नियंत्रित करे परन्तु। …… हम असहाय होते है
और हम ये क्यों सोचते है की हम जो चाहे वो कर सकते है चाहे वो गलत हो चाहे वो सही हो क्यों हम सिर्फ अपनी बात मनवाने के लिए मन को विवस कारण की कोशिश करते है ये तो सरासर गलत हैलेकिन सायद ये कहना सच है की प्यार एक अप्रयास हींन प्रक्रिया है जो की नही जाती अपितु ही जाती है जब हमारा जोर ही नही इस पर तो जमाना हमे क्यों दोष देता है - भरोसा एक ऐसी चीज है ,जिसको न ही ख़रीदा जा सकता है न ही बेचा जा सकता है ,और न ही किसी मशीन में बनाया जा सकता है ,ये हमारे रिश्तों पर निर्भर करता है कि हमारे आपस के रिश्ते कैसे है और उन्ही के आधार पर हमे ये एहसास होता है कि हमारे रिश्तों में कितनी खटास है और कितने मजबूत है हमारे रिश्ते ये हमारे सिर्फ और सिर्फ भरोसे और हमारे आपस में प्यार पर निर्भर करता हैतो जी चलो हम एक दुसरे से करते है प्यार ………………..
- हम हर पल हर लम्हा कुछ कहेना चाहते है कुछ सुनना चाहते है,कुछ चाहते है,तो कुछ छिपाना चाहते है,लेकिन मेरेसामने ये बहुत बड़ा सवाल है मै… किस से कहू,किसको बताऊ अपने मनन की बात,किसको sunaau जो मेरे इस ह्रदयमें उथल पुथल मचा रहा है,मेरे विचारो को समंदर के विशाल वेग से भी तेज क्र रहा है,आखिर कोई तो होना चाहिएजिसको मै अपने मनन की व्यथा बता सकूं…
- jb din ki prchaiya dhlti hai
jb rat ka suraj ugta hai
un bite lmho me khokr k
jane hmko kya mil jata hai
mil jati hai hme nanhi si khusi
jb gujra daur hme yad ata hai
hlki purwa k jhoko sng
ek ansoo chalak sa jata hai - jindgi me pair jmi pe pd jaye jo
meelo chlte chlte gar bichde parinde mil jaye to
kai ehsaaso ke ghronde bn jate hai is mann me
lekin socho jra gar ndi ke do kinare mil jaye to
………………………………………….
……………………………….. sayad iska jwab kisi ke paas nhi hoga - तेरी मासूम मुस्कराहट
निश्छलता की नदी है जैसे
पवित्र है तू गंगा की तरह
स्वेत है तू वीणावादिनी की तरह
तेज है तुझमे माँ जगजननी का
भस्म कर देती हो बस कुछ क्षणों में
काम क्रोध मोह रूपी राक्षस को
तेरी जय हो जय हो सदा ही जय हो
माँ अम्बे - कुछ समंदर है आँखों में मेरे
तो कुछ दिल में रहते है हरदम
कुछ तूफां लाते है विचारो में मेरे
तो कुछ खामोश रहते है मन में मेरे
कभी कभी ख़ामोशी में भी बेचैनी सी होती है
तो कभी कभी बिन आंसुओ के रोती है ये आँखे
कभी कभी नम हो जाता है जहन
जो सताती है हर पल यादे तेरी
मद्धम सी रफ़्तार हो जाती है इस दिल के मेरे
लेकिन ये समंदर है और हम तूफ़ान है
मुहब्बत है मेरी एक प्यासी नदी
है जो इस मन के सागर से मिलने चली
बचें ये भी तो
सायद हम भी कम नहीं
लेकिन देखते है वो कम है
या हम में है कमी - सूखे पत्तो सी बेजान हो गयी है ,
मद्धम मद्धम सांसे फिर भी चल रही है ,
सपने सारे टूट गए है,
फिर भी जीने कि एक आशा है ‘,
जानते हम भी ये मकान है रेत का,
कब बिखर जाए ये पता नही ,
मै भी खो जाऊँ शायद इसी रेत में कही ,
जब कभी ढूंढें ये जमाना मुझे
जब कभी ढूंढें ये जमाना मुझे। ……………। ……… ………………. …। … कभी ख्वाबों कि परछाइयो तले ,,,,,,,,
घूंघट उठा के देखा जो उनका ,,,,,,,,,,
तो शर्मा गयी यादो की परछाई,,,,,,,,,,,,,,
जो दीदार हुआ उन नशीली आँखों का ,,,,,,,,,
खोये हुए ख्यालो में खो गए हम यूं ही ,
तो थम गया जैसे हजारो गमो सिलसिला।
कभी ख्वाबों कि परछाइयो तले ,,,,,,,,
घूंघट उठा के देखा जो उनका ,,,,,,,,,,

0 comments:
Post a Comment