आशा की जीवन डोर लिए ,,,
जाने इधर उधर पथ में भटके ,,,
ना मंजिल का है पता उसे,,,
जाने क्यों व्याकुल मन है ये ,,,
कभी हँसता है ,,,
कभी रोता है,,,
कभी जागे ,,तो ,,
कभी सोता है ,,,
जाने कैसी परछाई है ,,,
स्पष्ट नही है ,,
धुंधली सी ,,,
जैसे अंधियारे में जाऊ ,,,
वो खो जाए ,,,
हाँ मन है मेरा मन पागल ,,,
जो ,,आशा की जीवन डोर लिए ,,,
जाने इधर उधर पथ में भटके ,,,
शब्दों पर है सयम जो नही ,,,
है शत्रु जमाना मेरा हुआ ,,,
मैं अपनी मनोदशा किस्से कहूं ,,,
जो उसके प्रेम में पागल हुआ ,,
सूखे पत्ते सा गिर जो गया ,,,
पैरों के तले रौंदा मैं गया
शीशे की तरह जो बिखर गया ,,,
फिर भी ,,बाहे फैलाए खड़ा रहा ,,
नैनो से बिन बादल नीर बहे ,,
आशा की जीवन डोर लिए ,,,
जाने इधर उधर पथ में भटके ,,,
जाने इधर उधर पथ में भटके ,,,
ना मंजिल का है पता उसे,,,
जाने क्यों व्याकुल मन है ये ,,,
कभी हँसता है ,,,
कभी रोता है,,,
कभी जागे ,,तो ,,
कभी सोता है ,,,
जाने कैसी परछाई है ,,,
स्पष्ट नही है ,,
धुंधली सी ,,,
जैसे अंधियारे में जाऊ ,,,
वो खो जाए ,,,
हाँ मन है मेरा मन पागल ,,,
जो ,,आशा की जीवन डोर लिए ,,,
जाने इधर उधर पथ में भटके ,,,
शब्दों पर है सयम जो नही ,,,
है शत्रु जमाना मेरा हुआ ,,,
मैं अपनी मनोदशा किस्से कहूं ,,,
जो उसके प्रेम में पागल हुआ ,,
सूखे पत्ते सा गिर जो गया ,,,
पैरों के तले रौंदा मैं गया
शीशे की तरह जो बिखर गया ,,,
फिर भी ,,बाहे फैलाए खड़ा रहा ,,
नैनो से बिन बादल नीर बहे ,,
आशा की जीवन डोर लिए ,,,
जाने इधर उधर पथ में भटके ,,,


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