क्या ये सच है ये हमारा आज है ,,,,,,,,,लेकिन कुंठित मन से हमे ये स्वीकार करना पड़ रहा है की हाँ यही हमारा आज है और जाने कैसा होगा कल ???????????जाने कितने प्रश्न है अभी मेरे मन में जिनके उत्तर है मेरे पास लेकिन वो बहुत ही भयावह है हम सबके लिए ,,,की तड़प तड़प कर कोई इंसान मर जाए ,,,,,,,,,,लेकिन राह चलने वालो का दिल जैसे पत्थर का हो गया हो ,,,,,,,,या उनको भी शायद इसी पल का इतजार है की उनका भी कोई अपना ही या खुद वो स्वयं ऐसे ही तडपते हुए पड़े हो रो रहे हो चिल्ला रहे हो ,,,दर्द से कराह रहे हो ,,,,,तभी उनको ये एहसास होगा ,,,,,,,,,,,,क्या यही वो हमारा भारत श्रेष्ठ है जहां की संस्कृति सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है ,,,,,,,आज इसी देश के लोग इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते है ,,,,,,,,,,इतने निष्ठुर कैसे हो सकते है ,,,,,,,,,,,या सारा का सारा महारत हम सिर्फ और सिर्फ बातो में ही करना जानते है ,,,,,,,,,,,मेरी पूरे देश से यही आग्रह है की कम से कम इतनी सद्या तो होनि ही चाहिए ,,,,,,,,,क्या पता कल हम भी इसी जगह हो ,,,,,,,,,फिर,,,,,,,
इसलिए किसी भी जीव को अगर जीवनदान दे सकते है उसके प्राणों की रक्षा करने में जो भी बन पड़े वो हमे करना चाहिए ,,,,,,
"इतना घ्रणित कार्य मत कीजिये की खुद से ही घ्रणा होने लगे"
जय हिन्द
जय भारत

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