हे ईश्वर ||||||||||||||||||||||||||||||||||
एहसासों का आसमा
कुछ पल जिन्दगी में चलते चलते ऐसे मिल जाते है जिनके बारे में सोचना तो दूर हम कल्पना भी नही करते और उनके मिलने मात्र से ऐसे सुखद एहसास का अनुभव होता है जिसके बारे में शायद ये शब्दों की सीमा भी कम पड़ जाए फिर भी ये जिन्दगी है और ये किस मोड़ पर हमे कौन से पलों का दीदार कराए ये सिर्फ हम या ऊपर वाले इश्वर ही जानते है जो हमारे जीवन के पल को लिखते है और हमसे उसी रूप में करवाते चले जाते है और ऐसा ही मेरा इस बार अपने ग्रामीण अंचल का सफ़र रहा जो मेरी जिन्दगी में ऐसी यादे दे गया जिनको भूल पाना शायद मेरी सामर्थ्य में नही है फिर भी इसमें दोनों तरह के एहसासों का मिश्रण है जिसमे सुखद अकम और दुखद एहसास ज्यादा है जिसमे कुछ अपनों से मिला और किसी ऐसे अपने को खोया जिसको भूल पाना शायद किसी के बस में नही ही जो भी उस सख्स को जानता है या मिला है ऐसे लोग बहुत कम लोगो की जिन्दगी में होते है जिनको हर कोई दिल से चाहने की कोशिश करता है उसी में ये मेरे लिए थे अब ये रिश्ता भी धूमिल गया धीरे धीरे और कुछ दिनों में जो हमारे बीच थे संग संग खेले थे हंसते थे आज वो नही है लेकिन दिल शायद आज भी ये मानने को तैयार नही है फिर भी बस यही कह सकते है की जो ईश्वर को मंजूर होता है वही होता है
हे ईश्वर ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हे ईश्वर ||||||||||||||||||||||||||||||||||

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