नादां मुहब्बत Earthcare Foundation NGO 6:41 AM No comments हम अपनी नजरो में तलासते रहेउन्हें कैद करके अपनी नजरो मेंलेकिन वो तो परिंदा था खुले आसमा में रहने वालाजो जाने कहा उड़ गया हवाओ के संगसच में स्वतंत्रता को क़ैद करना नामुमकिन हैपर दिल है की मानता ही नहीनादान मुहब्बत Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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