वाकई में इनसे खेलना बहुत ही अद्भुत लगता है शब्द हाँ ये शब्द जिनकी भाषा कभी कभी समझने इतनी मुश्किल होती है की शायद सब लोग हैरान हो जाते है अगर ये शब्द किसी अबोध बालक के द्वारा कहे जाए हाँ ये जरूर है की उसके द्वारा कहे गये शब्दों को माँ के अलावा किसी और के द्वारा समझना बहुत ही मुश्किल होता है क्योकि वो ऐसे शब्द या यु कहे की शब्दों का ऐसा संसार होता है जिनमे प्रत्येक क्षण हजारो लाखो अनजाने शब्दों का सृजन होता है जिनकी बोली जिनकी भाषा सच में असीम अनद की अनुभूति कराती है और उन शब्दों से जो हास्य और विनोद के माहौल की उपज होती है जिसमे हजारो ह्रदय जैसे भावनो के अविरल प्रवाह में बहते चले जाते है और सच में इतनी ख़ुशी इतना आनंद प्राप्त होता है जो हजारो पुण्यो को पा जाने जैसा प्रतीत होता है और इस अनुभव को एक माँ के सिवा शायद ही कोई वर्णन कर सकता लेकिन जो भी हो ये छोटी सी जिन्दगी कई जिंदगियो से कम नही लगती और इस प्रकार की अनुभूति भी उन तुतलाते हुए शब्दों से ही मिल सकती है शायद इसीलिए हमारे किशन कन्हैया इतने नटखट है और सभी को प्यारे है और इसीलिए बालरूप के रूप में भगवान् कृष्णा को पूजते है बात हमने शब्दों से शुरू की थी लेकिन ये एक अद्भुत संसार में विचरण करा रही है
0 comments:
Post a Comment