मनुष्य का जीवन हमारे धर्म के अनुसार चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मिलता है फिर भी हम सब इस मनुष्य रुपी देह को जो जीवो में सर्वश्रेष्ठ कही गयी है हम उसको सांसारिक मोहो में फंसकर बर्बाद करते है हम अपनी अतृप्त इछाओ के वसीभूत होकर इस अमूल्य जीवन को बर्बाद कर देते है और कर रहे है तो क्यों ना हम कुछ ऐसा काम करे जिसमे हमारे जीवन निर्वहन के साथ साथ हमारे समाज का कल्याण हो जिसमे हमारे दैनिक कार्यो की पूर्ती भी हो जाए और हम अपने दायित्यो का वहन भी भली भांति कर सके क्योकि अगर हम यु ही सोचते रहेंगे तो हमारा अमूल्य जीवन किसी ना किसी दिन समाप्त हो जाएगा और हम हाँथ पे हाँथ धरे हुए चले जायेंगे हमारे चारो तरफ कई सारे कार्य है जिसको कम समय में किया जा सकता है इसमें लोक कल्याण भी होगा और अपने जीवन को हम सार्थक दिशा भी प्रदान कर सकेंगे उससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा की हमारे मन और हमारे जीवन से नकारात्मक विचारधारा और नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होगा और उसके साथ साथ हमे असीम आनंद की अनुभूति भी होगी जो और किसी कार्य को करने में शायद ना मिले और ये भी सच है जब तक हम अपने कदमो को बढ़ाएंगे नही अपने कदमो को स्थिर रखेंगे तब तक हमे किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति नही हो सकती है
तो मित्रो करते है एक प्रयास कुछ करने का ||||||||||||||||||||||||||
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