जो तुम बिन ना रह पाऊ मैं||
जल बिन मछली बिन जल कैसी |
ये सोच के मैं घबराऊ मैं ||||||
तुम ही सम्पूर्ण चराचर में
तुम जलचर में तुम थलचार में
ना तुमसे बिसर कर रह पाऊ मैं
ये तड़प है होती कैसी तुम बिन |
जो तुम बिन ना रह पाऊ मैं||
तुम ही जल हो तुम जीवन हो |
तुम ही मेरा आज तुम ही कल हो ||
पल पल जल जल कल कल छल छल
तुम्हे पाके सवर सा जाऊ मैं |
ये तड़प है होती कैसी तुम बिन ||
जो तुम बिन ना रह पाऊ मैं||
