देखकर ये जीवन
और ये जीवन के ये मोड़
जिनका नही है कोई छोर
कुछ लम्हे सीधे गुजरते है इस राह से
तो बहुत है टेढ़े मेढे
मुस्कान बहुत कम ही कमाई है इस जिन्दगी ने
लेकिन ढेरो गम पाए है मुफ्त में
हर बार सम्भलने की कोशिश करते है
पर लोग संभलने से पहले ही गिरा देते है
यही सब सोच कर विवस हो जाता है मन
और अगन सो लगती है ये शीतल पवन

0 comments:
Post a Comment