की कैसा हु मैं
सब कहते है की खुश रहो
लेकिन मन की भावनाओं को कैसे बस में करू
इसीलिए शायद मैं भी तुम्हारे जैसा हु
दिल को पत्थर की तरह कठोर बनाने की कोशिश करता हु
लेकिन ये तो समय पाते ही मोम की तरह पिघल जाता है
और धीरे धीरे मेरे मन के रास्ते
आँखों का पानी बन के निकल जाता है
हां इनकी कोई कीमत नही शायद किसी की नजरो में लेकिन
गुम होकर खुद में ही
बन गया तुम्हारे जैसा हु
लेकिन मन की भावनाओं को कैसे बस में करू
इसीलिए शायद मैं भी तुम्हारे जैसा हु ????????????????

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