ये कैसे तुझे बताऊ मैं
जब जब तुझसे कहना चाहू
जाने सोच के क्या डर जाऊ मैं
मेरे ह्रदय में कितना प्यार है माँ
ये कैसे तुझे बताऊ मैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जब मैं देखू तेरे प्यार को माँ
जाने क्यों सरमा जाऊ मैं
तू है सागर और मैं इक बूँद हूँ माँ
ये सोच के कह ना पाउ मैं
मेरे ह्रदय में कितना प्यार है माँ
ये कैसे तुझे बताऊ मैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तूने कोंख में रखा नौ महीने
जाने क्या क्या सपने थे बुने
जीवन भर तूने तप जो किया
उस दूध कर्ज चुकाऊ मैं
मेरे ह्रदय में कितना प्यार है माँ
ये कैसे तुझे बताऊ मैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तन है निर्मल
मन है वो नदी
जिसमे ममता का अमृत है
सपनो का सृजन सिर्फ मेरे लिए
मेरे नन्हे कदमो में तेरा जीवन
इक आह से मेरी तड़प जाती
कैसे उस दर्द का मोल चुकाऊ मैं
मेरे ह्रदय में कितना प्यार है माँ
ये कैसे तुझे बताऊ मैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जो थे संदेह के बादल मन में
मैं इतराता था जो मन में
इक हवा का झोका आया जो
वो छट से गये वो उड़ ही गये
मैंने ये पाप किया है जो
तेरे प्यार को ना मैं समझ पाया
तेरा प्यार वो अमृत धारा है
जिसमे नित नित मैं बह जाऊ मा
मेरे ह्रदय में कितना प्यार है माँ
ये कैसे तुझे बताऊ मैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मेरे ह्रदय में कितना प्यार है माँ
ये कैसे तुझे बताऊ मैं
जब जब तुझसे कहना चाहू
जाने सोच के क्या डर जाऊ मैं

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