रेत के ढेर पर हमने आज
ख़्वाबों का आशियाना बनाया था
कुछ हवा के मद्धम झोको ने
रह रह कर कहर ढाया था
कुछ अवशेष जरूर बचे थे
मेरे मन के कोने में मगर
पानी की उन भयावह लहरों ने
मुझको कितना सताया था
अब कुछ तिनके ही है
मेरी मुट्ठी में
वो भी भीग गये
मेरी नम आँखों के प्रवाह में
तिनका तिनका भी बह गया
समय की गुजरी हुई रफ़्तार में
ख़्वाबों का आशियाना बनाया था
कुछ हवा के मद्धम झोको ने
रह रह कर कहर ढाया था
कुछ अवशेष जरूर बचे थे
मेरे मन के कोने में मगर
पानी की उन भयावह लहरों ने
मुझको कितना सताया था
अब कुछ तिनके ही है
मेरी मुट्ठी में
वो भी भीग गये
मेरी नम आँखों के प्रवाह में
तिनका तिनका भी बह गया
समय की गुजरी हुई रफ़्तार में

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