![]() मेरे ह्रदय में तेरा मंदिर है और मन बहुत ही चंचल है आँखे है राहे सुन्दर और नयन अश्रु गंगाजल है नित अर्पित करू हर शाम सुबह तेरे दर्शन ही मेरा जीवन है नाही जाना है मंदिर को ना ही जाना है मस्जिद को श्रृद्धा सुमन अर्पित करके करना स्नेहिल जीवन है तू ही है जगपालिनी माँ तेरे नैनों में संसार बसे जो क्रोध भरे उन नैनों में महिषासुर का संघार करे मेरे ह्रदय में तेरा मंदिर है और मन बहुत ही चंचल है आँखे है राहे सुन्दर और नयन अश्रु गंगाजल है ............... जय जय महिषासुरमर्दिनी |


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