![]() कई सपने बिखरते आज मैंने आँखों से देखा है वो आंचल कल जो भरा था आज सूना है निकली थी आह मेरे ही कलेजे से खुली आँखों से रो रो के वो सपना आज देखा है बिखरती मैं रही पल पल बिखरते दिल के टुकडो को टूटते वो रहे और सीने में चुभते आज देखा है हुआ है दर्द इतना की सम्भलना मुस्किल हो रहा नही है शब्द दिल में आज निःशब्द है हर पल हाँ उन मासूमो को तडपते आज देखा हैहे मेरे प्रभु आपसे मैं ह्रदय से प्रार्थना करता हु की इतने निर्दयी राक्षसों को मत भेजो यह क्योकि इतनी निर्दयता हम देखने में सक्षम नही है ??????????????? |


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