रिश्तो की डोर है होती क्या
तुझसे बिछड़ा तो मैं जाना
छत पर बैठी गोरैया का कलरव
सुनकर होता था दीवाना
रिश्तो की डोर है होती क्या
तुझसे बिछड़ा तो मैं जाना ...............
जब तुम रोती थी
था मैं हँसता
अब क्या है आंसू
ये पहचाना
रह कर दर्द उमड़ता है
दिल रह रह कर रोता है
तुम आ जाओ मेरे पास में जो
बस तेरी ही राह तकता है
अब लगता है तुम ही हो अपनी
सारा जग जैसे बेगाना
रिश्तो की डोर है होती क्या
तुझसे बिछड़ा तो मैं जाना
तुझसे बिछड़ा तो मैं जाना
छत पर बैठी गोरैया का कलरव
सुनकर होता था दीवाना
रिश्तो की डोर है होती क्या
तुझसे बिछड़ा तो मैं जाना ...............
जब तुम रोती थी
था मैं हँसता
अब क्या है आंसू
ये पहचाना
रह कर दर्द उमड़ता है
दिल रह रह कर रोता है
तुम आ जाओ मेरे पास में जो
बस तेरी ही राह तकता है
अब लगता है तुम ही हो अपनी
सारा जग जैसे बेगाना
रिश्तो की डोर है होती क्या
तुझसे बिछड़ा तो मैं जाना

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