हमे तो कहते हुए और देखकर आत्म ग्लानि होने लगती है जब भी मैं टेलीविज़न पर अपने प्यारे राजनेताओ को देखता हु चाहे वो किसी भी पार्टी विशेष से क्यों ना हो नाही उन्हें देश की चिंता है ना देश की जनता की वो अपना वोट बैंक चमकाने की खातिर किसी भी हद तक गिर सकते है उन्हें ये भी ध्यान नही रहता की वो अपने साथ अपने पद की गरिमा और साथ साथ देश की इज्जत भी मिटटी में मिला रहे है इतना ज्यादा और इस हद तक नैतिक पतन हो जाएगा
हे भगवान् इन नेताओ को सद्बुद्धि दो या फिर ऐसे नेताओ को अपने पास ही बुला लीजिये जिनको सही और गलत में अंतर नही पता जिनको शब्द और अपशब्द में भेद नही मालूम जिनको सिर्फ स्वार्थ में ही परमार्थ दीखता है
हे भगवान् इन नेताओ को सद्बुद्धि दो या फिर ऐसे नेताओ को अपने पास ही बुला लीजिये जिनको सही और गलत में अंतर नही पता जिनको शब्द और अपशब्द में भेद नही मालूम जिनको सिर्फ स्वार्थ में ही परमार्थ दीखता है

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