मन रह रहकर अब डरता है
जाने क्यों ना जाने क्यों
शूलो की तरह कोई चुभता है
जाने क्यों ना जाने क्यों
इक राह बनी थी पनघट की
पतली पगडण्डी पर चलकर
ना पनघट ना राह बची
जाने क्यों ना जाने क्यों
हँसते हँसते मन रोता है
जाने क्यों ना जाने क्यों
पहले था सब हरा भरा
चारो तरफ थी खुशहाली
कैसी ये अंधियारी छाई
जाने क्यों ना जाने क्यों
कोई नाग सा मुझको डसता है
जाने क्यों ना जाने क्यों
जाने क्यों ना जाने क्यों
शूलो की तरह कोई चुभता है
जाने क्यों ना जाने क्यों
इक राह बनी थी पनघट की
पतली पगडण्डी पर चलकर
ना पनघट ना राह बची
जाने क्यों ना जाने क्यों
हँसते हँसते मन रोता है
जाने क्यों ना जाने क्यों
पहले था सब हरा भरा
चारो तरफ थी खुशहाली
कैसी ये अंधियारी छाई
जाने क्यों ना जाने क्यों
कोई नाग सा मुझको डसता है
जाने क्यों ना जाने क्यों

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