कुछ गुजरे ,,,,,,,,,,,,,कुछ आने वाले पल
क्या इनकी तारीफ़ करूं,,,,,,,,,
देखकर इनको ,,,,हो जाऊ मैं विह्वल,,,,
अविरल सा,,,,,,,, ये बहता जल,
कुछ गुजरे ,,,,,,,,,,,,,कुछ आने वाले पल
कुछ यादे है ,,,,,,,,कुछ बाते है
संग तन्हा बीती राते है
रहते थे जहां जुगनू सी जलन
उस अंधियारे में कुछ छूट गया
अब याद उन्हें जब करते है
सागर सा उमड़ता नयनो में कही
जो छलक जाता है छल छल
अविरल सा,,,,,,,, ये बहता जल,
कुछ गुजरे ,,,,,,,,,,,,,कुछ आने वाले पल
नीर की पीर क्या कहे कोई
उसकी शीतलता से खेले कोई
थी दूध की नदिया बहती जहाँ
प्रतिकूल परिस्थितयां है आज यहाँ
था नदियों का ये देश सखी
इक बूँद को तरसे ये मन निर्मल
अविरल सा,,,,,,,, ये बहता जल,
कुछ गुजरे ,,,,,,,,,,,,,कुछ आने वाले पल
क्या इनकी तारीफ़ करूं,,,,,,,,,
देखकर इनको ,,,,हो जाऊ मैं विह्वल,,,,

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