जिसमे आकर सुकून मिलता है
वो दो नयन जिसमे डूबकर जाने कैसे नशे में गरिफ्तार हो जाता हु मै
वो अंजुमन वो निगाहे वो जुल्फों की घनघोर घटाए
जिनमे उलझ कर तुम मुझमे और मैं तुझमे खो जाते है
ये वादिय ये फिजाए और सारी की सारी कायनात हमारी हो जाती है
वाह मुहब्बत
वाह अंजाम तेरा
ग़ज़ब का जोश है इसमें
जो भी खोया इसमें
वो बहुत कुछ पाया
जय हो मुहब्बत की
जय हो इसक बनाने वाले की
जय हो उस हीर और राँझना की
जो डूब के भी अमर हो गये इस जहा में
