यही मैं पूछू हर मन से
नाही स्थिरता है इसमें,,
जाने क्यों भटके ये वन में
कोई चिंता है इसमें
या चिन्तन में है हर मन
कल तक चंचल नटखट सा था
आज क्यों अँधेरे तलाशता तन
है कोई राह भटका सा मुसाफिर आज
नहीं है कोई हमसफर
नाही है कोई रहगुजर
बस यही पूछता रहता हु
कुछ तो कहो मेरे साजन
है कोई पहेली सी
जिसमे उलझा उलझा सा है
बहुत पूंछा मैंने इससे
तब तोडा है उसने मौन
नही रहने देना इस धरा पर
है कुछ जो सरफिरे से ये
है मुठी भर नही फिर भी
बात भारत को तोड़ने की करते ये
मेरा सम्मान है माँ भारती
कोई अपशब्द कहता है तो
भड़क जाता तन मन धन
तुम्हे जो भी कहना कहलो
मगर एक बात मेरी सुनलो
अपनी औकात में रहना
नही खो दोगे अपना जीवन
इसीलिए चुप चुप सा रहता हु
किसी से कुछ ना कहता हु
क्योकि अब कुछ सुनना नही हमको
अब करना है मारना है मरना है हमको
हां ये ख्वाइश है दिल की
तिरंगा पहनना है मुझको
हां ये ख्वाइश है दिल की
तिरंगा पहनना है मुझको
हां ये ख्वाइश है दिल की
तिरंगा पहनना है मुझको
जय हिन्द
जय भारत

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