कुछ शायरी,,,,,,कुछ ग़ज़ल,,,,
जिसमे एहसास हो तेरा,,,,,,
दिल से वही कहना है मुझको,,,
मन के मन्दिर के मेरे,,,
तुम ही घनश्याम हो मेरे,,,
मैं जपु राधे कृष्णा ,,,कृष्णा
बस यही जपना है मुझको,,,
चाहे उगता सूरज हो,,,
चाहे तपती दोपहरी हो,,,
अपनी ढलती शामो में ,,,
श्याम ही कहना है मुझको,,
मैं ये जानता हु मोहन,,,
नही मैं राधिका तेरी,,,,
लेकिन बंसी की प्यारी धुन
अब यही सुनना है मुझको,,,
है यही आस अब मेरी,,,
रहे ना कान्हा से दूरी,,,
जतन कोई भी करना पड़े,,,
मिलन अब करना है मुझको
जपे ये मेरा पागल मन
मन में बाजे बस यही धुन
जहाँ देखू दिखाई दो
मेरे मन हो सिर्फ मनमोहन
जतन कुछ भी करना पड़े
बस यही करना है मुझको
श्याम मुझे मिलना है तुमको
श्याम मुझे मिलना है तुमको

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