कभी कभी कुछ लोग मुझसे पूछते है की मेरा नाम तुम्हारे साथ क्यों जोड़ा जाता है रुकमनी जी और सत्यभामा जी के साथ क्यों नही वो आपकी अर्धांगिनी है क्या उनसे आपको प्यार नही स्नेह नही क्यों सब राधे राधेकहते है रुकमनी रुकमनी नही
तो मैंने भी अपने मन से सवाल किया जवाब आया प्यार बाँटने की चीज नही नही वो सबसे होता है लेकिन वो रिश्ते पर निर्भर करता है और हमारा एक दुसरे से क्या रिश्ता है उसी अनुसार हमारे मन में स्नेह के कोपलो का जन्म होता है हमारे ह्रदय में
और स्नेहिल रिस्तो में तुलना करना व्यर्थ है की हम किसे ज्यादा प्यार करते है और किससे कम ये तो एक बंधन है एक डोर है जिससे हम तार तार जुड़ते चले जाते है हमारा रिश्ता भी ऐसे ही है जो एक दुसरे के बिना अधूरा है और सायद इसीलिए हम एक दुसरे के जीवन का आधार है
बस मेरे मित्रो ये मेरे मन की काल्पनिक अभिव्यक्ति है इसीलिए जो मन में आया वो लिख दिया
जय राधे कृष्णा

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