यु ही एक दिन मैं पेड़ की छाव के नीचे बैठा था Earthcare Foundation NGO 9:03 AM निश्छल मन No comments यु ही एक दिन मैं पेड़ की छाव के नीचे बैठा थाकुछ गुमसुम सा कुछ तन्हा सा ,,,,,,,,,अचानक ही मेरी नजर चीटियों के झुण्ड पर पड़ी ,,,,,,,,,जो निरंतर चलती जा रहीअपनी ही कतार मेंकुछ इधर कुछ उधरबिना विचलन के ,,,,,,,,,जाने कहा से आ रही थीजाने कहाँ को जा रही थी ,,,,,,,,,,,मेरी उत्सुकता बढती जा रही थीएक दिशा की तरफ मैं ध्यान से चलता गयाहाँ कुछ छोटे छोटे मिटटी के टुकड़े जो उनके आकारसे काफी बड़ी थी उनको धकेल रही थीकुछ दूर पहुचने परमैंने देखा एक छोटी सी बिल थीशायद वो उनका नया घर थालेकिन हैरान कर देने वाली एकताग़ज़ब का साहसअत्यंत ही परिश्रमीये सब देखकर जब मैंने अपने आपकोतौला ,,,,,,,,,,,,तो कुछ भी नही थालेकिन उनके हौसले को देखकरमेरा हौसला बढ़ गयामुझे भी जीने की एक राह मिल गयीइसलिए शुक्रिया इन चीटियों काजो मुझ हारे को हारने नही दिया Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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