चलो इसके सहारे ही तुझे हम याद करते है,,,,,
हाँ हम कुछ कदम चलकर ,,,जाने क्यों रुक से जाते है ,,,
धडकने मद्धम चलकर के,,,जाने क्यूँ थम सी जाती है ,,,,
अपनी यादों के आशियाँ को,,,, हम कुछ आबाद करते है ,,,
चलो कुछ देर हम भी,,,,,,,,,,, दिल को कुछ बर्बाद करते है ,,,
हाँ तुझको पाने की खातिर ,,,सारे जमाने को ,,,,
अजनबी कर आये है हम,,,,कुछ अपने कुछ बेगानों को ,,,,
ढली अब शाम भी धीरे धीरे से ,,,दिल के दरवाजे पर,,,
लुटा है अब ये मंजर,,,,टूटा है दिल पे जो कहर,,,
उस गम को अब ,,,,हम भी कुछ कुछ भूल आये है ,,,
तुम्हे हम याद कर करके,,,खुद को ही भूल जाते है
अपनी यादों के आशियाँ को,,,, हम कुछ आबाद करते है ,,,
चलो कुछ देर हम भी,,,,,,,,,,, दिल को कुछ बर्बाद करते है ,,,

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