ये शब्दों की दूरियां,,,,,,
मुझे एहसास कराती है कुछ,,कुछ,,
लेकिन मत पूछो ये पिया,,
बहुत कुछ कह जाती है ,,,
ये शब्दों की लड़िया,,,,
और मिटा देती है ,,,अपने स्नेह से ,,,
जैसे दो दिलो की दूरिया,,,
हाँ तुझसे दूर जरूर हूँ,,,
लेकिन पास भी कम नही,,,
जब एहसास करता हूँ,,,
जब तुझे याद करता हूँ,,,
हाँ कुछ दर्द ठहरता है,,,
जो होता है कुछ कुछ मीठा,,,
और मेरे शब्द ही तुझको,,
जब मेरे पास बुलाते है ,,,
कुछ भीगे भीगे मन से,,,
हाँ हम जब भीग जाते है ,,,,
नही रहता मैं अब तन्हा,,,
नही रहता मैं अब तन्हा ,,,,,,,,,,,,,,,,

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