Thursday, October 29, 2015
Monday, October 26, 2015
प्रकृति की अद्भुत और आश्चर्यजनक सुन्दरता
का वर्णन तो शायद ही ये आँखे कर सकती ही जिनकी वृहद
और विशाल अनत सीमाओं के को पार करना या उससे पार जाना बहुत ही मुश्किल है जैसा की
इस चित्र में दर्शाया गया है इसकी मनोहरता का वर्णन तो मैं कर ही नही सकता किन्तु
इतना जरूर कह सकता हु की इसकी सुन्दरता ने जैसे मेरे मन को सम्मोहित सा कर लिया हो
और जिसकी वजह से मुझे इस प्राकृतिक दृश्य के सिवा और कुछ भी दिखाई ही नही दे रहा
है जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को एकटक निहारते हुए शायद सब कुछ भूल जाता है और
एकटक बस उसी को देखता रहता है ठीक उसी प्रकार मैं भी प्रकृति की सुन्दरता में इतना
मंत्रमुग्ध हो गया हु की इस क्षण कुछ और सोचना मेरे लिए संभव नही है ये हरी भरी वादियाँ
हाय मेरे मन आज तू कही पागल न हो जाए सच में ये मनोहरता हर किसी का मन हरने में
सक्षम है
इसलिए सभी को प्रकृति से प्रेम होता है और इसके
लिए कुछ पल प्रकृति के सान्निध्य में जीकर देखिये आप खुद को ना भूल जाए
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
छलूँ कुछ सपनो को मैं छलूँ कुछ अपनों को मैं
छलूँ कुछ सपनो को मैं
छलूँ कुछ अपनों को मैं
फिर कैसा दर्द होता है
कुछ दर्द दूं अपनों को मैं
जिन्होंने है छला मुझको
हर राह पर हर सांस पर
स्तब्ध सा रह जाता था मैं
दर्द की इक आह को पाकर
यही सब सोच कर
व्यथित कुछ मन भी मेरा है
ठगा जो अपनों ने मुझको
नयन विक्षिप्त है मेरे
छलूँ कुछ अपनों को मैं भी
लेकिन ये दिल सिसकता है
और रह रह के कहता है
नही दे सकता हु मैं
किसी को दर्दे दिल फिर
हां जमी ही मिल गयी मुझको
नही है इच्छा अब कोई
धरा ही मेरा अम्बर है
छला है मुझको तो सबने
लेकिन मैं दे नही सकता
छलूँ अब किसको मैं
जला जो मैं हु हर पल
Saturday, October 17, 2015
{{{{{{{{{{{{{{{{{ खामोशियाँ}}}}}}}}}}}}}}}
{{{{{{{{{{{{{{{{{ खामोशियाँ}}}}}}}}}}}}}}}
कभी कभी हम चुपचाप बैठे होते है बिन कहे ही जैसे हमारी खामोशियाँ हमसे बाते करने लगती है जब भी हम तन्हा होते है अकेले होते है हमसे खुद बखुद हमारी खामोशियाँ हमसे बाते करने लगती है कुछ कहने लगती है कुछ सुनने लगती है हाँ ये जरूर है की इनके आने की वजह जो भी हो पर ये कुछ दिल को सताती है कुछ हंसाती है तो कभी कभी रुलाती भी ही पर फिर भी ये कई सरे बेनाम से रिस्तो को हमारे दिलो से जोड़ जाती है एक ऐसा रिश्ता जो हमे रह रह कर याद आता है और उन्हें याद करके दिल को बहुत ही सुकून मिलता है
बहुत दिन बाद हम उनसे मिले थे
बहुत दिन बाद
हम उनसे मिले
बहुत दिन बाद
जब उनसे मिले हम
लेकिन हम थे
निःशब्द
वो भी कुछ कह
ना सके
वो उनकी
सुर्ख आँखों में नमी थी
जाने किस बात
से हम तुम खफ़ा थे
मेरा भी दिल
ही दिल है
कोई पत्थर का
टुकड़ा तो नही है
आँखे भी नम
हुई कुछ मेरी भी
उनको देखकर
लबो ने
कंपकपाते हुए कुछ की थी कोशिश
लेकिन कुछ कह
ना सके ख़ामोशी के सिवा
बादल भी घने
कुछ छा रहे थे
बहुत दिन बाद
उनसे हम मिले थे
जाने किस बात
से हम तुम खफा थे
पर क्या यही हमारे संस्कार है यही हमारी सभ्यता है
जय जवान जय किसान जय हिन्दुस्तान का नारा सिर्फ हमारे लबो पे रह गया
अब तो जय नितीश जय मोदी जय मुलायम
ये हमारे दिलो में है
देशभक्ति क्या होती है
ये नही पता
पर चाटुकारिता हमे बखूबी पता है
नेताजी जो है
हाँ इन्हें भी ये शब्द तब याद आते है
जब अपना वोट बैंक चमकाना होता है
और हम भी अपना अपनों का और अपने देश का हित
बस इन सभाओ में याद आता है
पर क्या यही हमारे संस्कार है
यही हमारी सभ्यता है
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।।
अब तो जय नितीश जय मोदी जय मुलायम
ये हमारे दिलो में है
देशभक्ति क्या होती है
ये नही पता
पर चाटुकारिता हमे बखूबी पता है
नेताजी जो है
हाँ इन्हें भी ये शब्द तब याद आते है
जब अपना वोट बैंक चमकाना होता है
और हम भी अपना अपनों का और अपने देश का हित
बस इन सभाओ में याद आता है
पर क्या यही हमारे संस्कार है
यही हमारी सभ्यता है
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।।
फिर क्यों अजनबी बनकर रहती हो मेरे दिल में
तेरे आगोश में आके
सिमट सा जाता हु मैं
जैसे कोई नदी उमंगों से भर जाती है
जब मिलती है समन्दर से
हाँ लहरे भी कई उठती है
ठहर सी जाती है पल में
हाँ ये शांत ह्रदय की थमती हुई थकन है ये
जैसे भूला हुआ कोई अपना
मुड़के हमे आवाज देता है
जैसे अपना कोई जब दिल से हमे
फिर याद करता है
फिर वही हिचकी बन करके हमे कुछ गुदगुदाता है
जैसे भूला हुआ अपना हमे फिर याद आता है
वही मंजिल वही साहिल
वही है हम वही हो तुम
फिर क्यों अजनबी तुम बनके
रहती हो मेरे दिल में
फिर क्यों अजनबी बनकर
रहती हो मेरे दिल में
सिमट सा जाता हु मैं
जैसे कोई नदी उमंगों से भर जाती है
जब मिलती है समन्दर से
हाँ लहरे भी कई उठती है
ठहर सी जाती है पल में
हाँ ये शांत ह्रदय की थमती हुई थकन है ये
जैसे भूला हुआ कोई अपना
मुड़के हमे आवाज देता है
जैसे अपना कोई जब दिल से हमे
फिर याद करता है
फिर वही हिचकी बन करके हमे कुछ गुदगुदाता है
जैसे भूला हुआ अपना हमे फिर याद आता है
वही मंजिल वही साहिल
वही है हम वही हो तुम
फिर क्यों अजनबी तुम बनके
रहती हो मेरे दिल में
फिर क्यों अजनबी बनकर
रहती हो मेरे दिल में
लब्ज गर साथ देते है
लब्ज गर साथ देते है
फिर कारवाँ मिल ही जाता है
असीमित आनंद की अनुभूति
और दिल को सुकून पहुचाने वाले पल
फिर न इनको ढूढ़ना पड़ता है
बस शब्दों के अनंत आकाश में जैसे हम खो से जाते है
लिखते है तो लिखते ही जाते है
ये अनंत गहराई का एक ऐसा समंदर है
जिसमे कितनी भी गहराई में चले जाये
और उसमे चिंतन और मनन रुपी नाव में सवार होकर
सच में इस आनंद की अनुभूति और इसका अद्भुत और आश्चर्यजनक एहसास की कल्पना करना सामान्य क्षणों में अत्यंत ही कठिन है
तो मित्रो जो दिल कहे उसकी सुनते जाइये और लिखते जाइये
फिर कारवाँ मिल ही जाता है
असीमित आनंद की अनुभूति
और दिल को सुकून पहुचाने वाले पल
फिर न इनको ढूढ़ना पड़ता है
बस शब्दों के अनंत आकाश में जैसे हम खो से जाते है
लिखते है तो लिखते ही जाते है
ये अनंत गहराई का एक ऐसा समंदर है
जिसमे कितनी भी गहराई में चले जाये
और उसमे चिंतन और मनन रुपी नाव में सवार होकर
सच में इस आनंद की अनुभूति और इसका अद्भुत और आश्चर्यजनक एहसास की कल्पना करना सामान्य क्षणों में अत्यंत ही कठिन है
तो मित्रो जो दिल कहे उसकी सुनते जाइये और लिखते जाइये
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।
माँ
Kavita house
8:05 AM
Inspirational, Kavita Sangrah
No comments
हे माँ वीणावादिनी माँ
चरणों में रहू मैं तेरे सदा
मन का अन्धकार मिटा दो
मैं शांत रहूँ निश्छल मैं रहूँ
मन में ऐसी अलख जगा दो माँ
जब भी देखू तुझको देखू
जब भी सोचूँ तुझको सोचूँ
ज्ञान प्रकाश की नित ज्योति जले
मेरे ह्रदय को मंदिर बना दो माँ
बनके उसमे सुन्दर मूरत
अपना दरबार लगा दो माँ
चरणों में रहू मैं तेरे सदा
मन का अन्धकार मिटा दो
मैं शांत रहूँ निश्छल मैं रहूँ
मन में ऐसी अलख जगा दो माँ
जब भी देखू तुझको देखू
जब भी सोचूँ तुझको सोचूँ
ज्ञान प्रकाश की नित ज्योति जले
मेरे ह्रदय को मंदिर बना दो माँ
बनके उसमे सुन्दर मूरत
अपना दरबार लगा दो माँ
!!!!!!!!!अति के बाद अंत ही है!!!!!!!!!!!!!!!
!!!!!!!!!अति के बाद अंत ही है!!!!!!!!!!!!!!!
ये सच है
की किसी भी चीज का उपयोग हो चाहे उपभोग हो अगर हम नियम और संयम से करते है तो उसका
परिणाम भी उसी के अनुसार मिलता है लेकिन कभी कभी कुछ चीजे या कुछ आदते हमे बहुत
अच्छी लगती है तो जो व्यक्ति धैर्यवान है वो तो अपने मार्ग से नही भटकते पर कुछ
लोगो को अपनी आदतों या अपनी इच्छाओ पर नियंत्रण नही होता है वो अपनी इच्छाओ के
वसीभूत होकर नियमो का पालन करने में सक्षम नही होते है और इसके फलस्वरूप कभी कभी
अपनी इछाओ में इतने आसक्त हो जाते है की वो इच्छाए ही उनके पतन का कारण बन जाती है
जैसे उदाहरण स्वरुप मैं ये बताना चाहूँगा की जो भी लोग धूम्रपान का सेवन करते है
चाहे वो तम्बाकू हो या बीडी या सिगरेट इन सभी वस्तुओ पर चेतावनी होती है की इसके
सेवन से हमे कैंसर हो सकता है लेकिन हम फिर भी इसका सेवन करते है और इसका परिणाम
क्या होता है इससे हम भलीभांति परिचित है इसीलिए मित्रो मैं आपसे यही गुजारिस करना
चाहता हु की अपनी इच्छाओ पर नियंत्रण रखे और अपने जीवन को नियम और संयम से हमेशा
ही परिचित रखे और किसी भी परिस्थिति में इनसे समझौता ना करे क्योकि यही जीवन का
सार है
सपनो की इस बारिश में भीग रहे है हम और तुम
सपनो की इस बारिश में भीग रहे है हम और तुम
नैनों की परछाई में क्यों न हो जाये हम तुम
गुम
कुछ तुम कहदो उन लम्हों से
कुछ हम भी कहे उस सावन से
जिसने हमे तड़पाया है
जिसने हमे तरसाया है
आ जाओ मेरे प्रियवर तुम
अब विरह घडी है बीत गयी
दुःख की लडिया सब टूट गयी
मन के मंदिर की मूरत का
मन से हो जाए आज मिलन
सपनो की इस बारिश में भीग रहे है हम और तुम
नैनों की परछाई में क्यों न हो जाये हम तुम
गुम
ग़ज़ल में तुमको लिखता हु ख्यालो में मेरे तुम हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ग़ज़ल में तुझको लिखता हूँ
ख्यालो में मेरे तुम हो
तसवुर में मेरी जानम
की हर लम्हों में मैं हु गुम
सफ़र मेरा है अब तन्हा
ना मंजिल का पता मुझको
मुसाफिर मेरी गलिया है
की मैं करलू तुझे हांसिल
बहुत मासूम है चेहरा
दिल जिसको याद करता है
नही मालूम था मुझको
दर्द ही मिलता है इसमें
ग़ज़ल में तुमको लिखता हु
ख्यालो में मेरे तुम हो
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कुछ दिल ने कहा
वो राहे
क्यों गुमसुम है
क्यों कुछ
बोलती नही
क्यों कुछ
कहती नही
जो हमेशा
खिलखिलाती रहती थी
हमे हरपल
गुदगुदाती रहती थी
वही आज
तन्हा है
अपने पी
के बिन
हाँ सच
में अपने पी के बिन
ऐसा क्यों
होता है
जिसकी कभी
कल्पना ही नही की हो
मन व्यथित
जरूर होता है
पर ये भी
जिन्दगी की इक कड़ी जो है
मन उदास
है तन्हाई का साथ है
बस यही है
मेरे मन की उलझन
कभी कभी
आहट सी होती है
मन में
कुछ सुगबुगाहट के साथ
एक आस सी
जगती है
एक मन
कहता है की पीछे मुड़कर देखू
दूसरा दिल
धक् धक् करता है
डरता है
कभी घबराता है
की कही वो
नही हुए
तो बढ़
जायेगी सीने की जलन
जो हमेशा
खिलखिलाती रहती थी
हमे हरपल
गुदगुदाती रहती थी
वही आज
तन्हा है
अपने पी
के बिन
बस इतना सा ही ख्वाब है
हाँ उस सांझ की ओट में बहुत ही लम्हे गुजारे है हमने
कुछ खट्टे कुछ मीठे और कुछ तीखे भी
पर शामे का इंतज़ार हम सभी को रहता है किसी को छुट्टी चाहिए होती है
किसी को घर जाना होता है
किसी को शाम की चाय की गर्मा गर्म चुस्की
तो किसी रांझे को अपनी हीर के साथ अपने लम्हों को बिताने का
ये सबसे सुन्दर और सुनहरा मौका होता है
और जैसे जैसे शाम ढलती है सूरज अपनी लालिमा धीरे धीरे कम करने लगता है
और इससे ये भी याद आया की सूरज को ढलने का वो सुन्दर दृश्य तो वही जानते है जिन्होंने नदी के किनारे या समंदर की सरहद पर ढेरो शामो से मुलाकात की हो वो रंगीन सुनहरी चादर जो पूरे के पूरे सागर को सुनहरी कर देती है जैसे की पानी में चमकीली आग लग गयी हो और वो तेज उठती लहरे जो उस सुनहरी चादर को तिनका तिनका बिखेर देती है तो कुछ मेरे मित्रो को ये प्राकृतिक मनोहर दृश्य देखने के लिए भी शाम का इंतज़ार रहता है इसीलिए कहता हु की सांझ की ढलती मधुरिम पालो का मजा लीजिये और खो जाइये अपनी रंगीन दुनिया में
कुछ खट्टे कुछ मीठे और कुछ तीखे भी
पर शामे का इंतज़ार हम सभी को रहता है किसी को छुट्टी चाहिए होती है
किसी को घर जाना होता है
किसी को शाम की चाय की गर्मा गर्म चुस्की
तो किसी रांझे को अपनी हीर के साथ अपने लम्हों को बिताने का
ये सबसे सुन्दर और सुनहरा मौका होता है
और जैसे जैसे शाम ढलती है सूरज अपनी लालिमा धीरे धीरे कम करने लगता है
और इससे ये भी याद आया की सूरज को ढलने का वो सुन्दर दृश्य तो वही जानते है जिन्होंने नदी के किनारे या समंदर की सरहद पर ढेरो शामो से मुलाकात की हो वो रंगीन सुनहरी चादर जो पूरे के पूरे सागर को सुनहरी कर देती है जैसे की पानी में चमकीली आग लग गयी हो और वो तेज उठती लहरे जो उस सुनहरी चादर को तिनका तिनका बिखेर देती है तो कुछ मेरे मित्रो को ये प्राकृतिक मनोहर दृश्य देखने के लिए भी शाम का इंतज़ार रहता है इसीलिए कहता हु की सांझ की ढलती मधुरिम पालो का मजा लीजिये और खो जाइये अपनी रंगीन दुनिया में
बस इतना सा ही ख्वाब है
Top 8 best poems
१)सपनो के आकाश में उड़ना कितना अच्छा लगता है जिसमे खोकर कुछ पलों के लिए
जैसे हम हकीकत की दुनिया भूल जाते है और सपनो के नीले आस्मां में सिर्फ हम
होते है और जो हमे अच्छे लगते है वो हमारे संग
तो चलिए कुछ पलो के लिए खो जाते है इस वृहद और विशाल खुशियो से भरे सपने के आँचल में
२)जीव तो जीव ही है चाहे वो हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो सच्चा मनुष्य और सच्ची मनुष्यता को किसी प्रमाण की जरूरत नही वो तो मोम की तरह स्वयम ही पिघल जाता है जब किसी को भी दुखी देखता है फिर चाहे वो जुबान वाला मनुष्य या बेजुबान कोई जीव फिर हम क्यों निरर्थक बातों में पड़े हुए है
हे ईश्वर ।।।।।।।।।।।।।।।
३)खुद और खुदा में कितना अंतर है
खुद में डूब जाओ तो खुदा मिल जाता है
जब खुद को ही सब कुछ समझने लगो तो
सब कुछ खो जाता है
तो चलिए कुछ पलो के लिए खो जाते है इस वृहद और विशाल खुशियो से भरे सपने के आँचल में
२)जीव तो जीव ही है चाहे वो हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो सच्चा मनुष्य और सच्ची मनुष्यता को किसी प्रमाण की जरूरत नही वो तो मोम की तरह स्वयम ही पिघल जाता है जब किसी को भी दुखी देखता है फिर चाहे वो जुबान वाला मनुष्य या बेजुबान कोई जीव फिर हम क्यों निरर्थक बातों में पड़े हुए है
हे ईश्वर ।।।।।।।।।।।।।।।
३)खुद और खुदा में कितना अंतर है
खुद में डूब जाओ तो खुदा मिल जाता है
जब खुद को ही सब कुछ समझने लगो तो
सब कुछ खो जाता है
हे ईश्वर।।।।।।।।
४)तेरी माशिकी भी क्या चीज है
जो हर वक़्त को भुला देती है
याद रहती है तो सिर्फ तेरी यादे
वो रूमानी चेहरा
वो अनकहे शब्द
वो समंदर से भी गहरी आँखे
जिनमे डूबकर निकलना शायद
ये जिंदगी ही है या
और कुछ
या मौला।।।।।म।।।।।।।
।।
५)गुस्ताखियां ये नजरों की
मैंने रोका बहुत पर ना समझा पाया इन्हें
मगरूर है बहुत ये और उस पर गुस्ताख ये दिल
समझाया बहुत पर नादान है ये
इसमें भी वो रुमानियत है
जिसमे खोकर दो जहां मिल जाते है
४)तेरी माशिकी भी क्या चीज है
जो हर वक़्त को भुला देती है
याद रहती है तो सिर्फ तेरी यादे
वो रूमानी चेहरा
वो अनकहे शब्द
वो समंदर से भी गहरी आँखे
जिनमे डूबकर निकलना शायद
ये जिंदगी ही है या
और कुछ
या मौला।।।।।म।।।।।।।
।।
५)गुस्ताखियां ये नजरों की
मैंने रोका बहुत पर ना समझा पाया इन्हें
मगरूर है बहुत ये और उस पर गुस्ताख ये दिल
समझाया बहुत पर नादान है ये
इसमें भी वो रुमानियत है
जिसमे खोकर दो जहां मिल जाते है
अल्लाह उफ़्फ़ ये मुहब्बत और ये इसका गुरूर
६)गुम हु तेरी फिक्र में
हर पल तुझे ही ढूंढे मेरा दिल
की चल आसमा उनको मैं ढूंढ लाऊ
की चाँद के संग कही वो गुजर रहा होगा
अँधेरी सिलवटी रातों में कही
घूँघट का साया सा ओढ़कर
छिपा होगा इन अंधेरो में कही
वनकर इक रौशनी का जरिया
घुल जाते है हम इन तारो में भी
७)आज कुछ मन गुनगुनाने कर रहा है तो मन से वही कुछ पुरानी लेकिन मेरे हृदय को आनंदविभोर कर देने वाली पंक्तिया गुनगुना रहा हु
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
६)गुम हु तेरी फिक्र में
हर पल तुझे ही ढूंढे मेरा दिल
की चल आसमा उनको मैं ढूंढ लाऊ
की चाँद के संग कही वो गुजर रहा होगा
अँधेरी सिलवटी रातों में कही
घूँघट का साया सा ओढ़कर
छिपा होगा इन अंधेरो में कही
वनकर इक रौशनी का जरिया
घुल जाते है हम इन तारो में भी
७)आज कुछ मन गुनगुनाने कर रहा है तो मन से वही कुछ पुरानी लेकिन मेरे हृदय को आनंदविभोर कर देने वाली पंक्तिया गुनगुना रहा हु
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
और सच में ये भजन गुनगुनाने में ऐसा लग रहा है जैसे मैं छोटा कन्हैय्या बन
गया हु और अपनी मैय्या को रिझा रहा हु और मैय्या भी मेरी शैतानियों को
देखकर और सुनकर भावविभोर हो रही है
सच में सत्य से कही परे है मेरे सपनो का ये आकाश
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।
८)तेरी तस्वीर ही तकदीर मेरी बन गई जैसे
की हाले दिल बया करने का इक जरिया भी तू ही है
मुकद्दर में क्या है
या मर्जी खुदा की है क्या
नही इसकी फ़िक्र की मेरा दिल जलेगा कल
सच में सत्य से कही परे है मेरे सपनो का ये आकाश
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।
८)तेरी तस्वीर ही तकदीर मेरी बन गई जैसे
की हाले दिल बया करने का इक जरिया भी तू ही है
मुकद्दर में क्या है
या मर्जी खुदा की है क्या
नही इसकी फ़िक्र की मेरा दिल जलेगा कल
हाँ मैंने भी कभी प्यार किया था
हाँ मैंने भी कभी प्यार किया था
हाँ मैंने भी कभी लम्हों में कई जिंदगियो का इंतज़ार किया है
कुछ अधूरापन तो था ही
जिसके कारण मैं तड़पा विरह वेदना में
हाँ मेरी भी आँखों ने रोकर मिटाया है कई सपनो को
हाँ मैंने भी कभी खोया था किसी अपने को
???????????
प्रेम अतुलनीय है
अविस्मरणीय है
निर्मल है
सुन्दर है
कभी कभी दुखद भी होता है
हाँ मैंने भी कभी लम्हों में कई जिंदगियो का इंतज़ार किया है
कुछ अधूरापन तो था ही
जिसके कारण मैं तड़पा विरह वेदना में
हाँ मेरी भी आँखों ने रोकर मिटाया है कई सपनो को
हाँ मैंने भी कभी खोया था किसी अपने को
???????????
प्रेम अतुलनीय है
अविस्मरणीय है
निर्मल है
सुन्दर है
कभी कभी दुखद भी होता है
हे ईश्वर ।।।।।।।।।।।।।।।।
तेरे अक्स का नूर
तेरे अक्स के नूर को देखकर
नजरो ने कुछ गुस्ताखी कर दी
देखा किये एकटक इन्हीं निगाहो से
की पलके भी झपकना भूल गए
वो शर्मा गए इस क़द्र मेरी इस गुस्ताखी से
की हम पलके विछाए बैठे रहे राहों में तेरी
और वो दरवज्जे की ओट में छिप छिप कर निहारते रहे यु ही
हाय ये तन्हा मुहब्बत
हाय ये जवानी का नशा
उफ़ ये कमबख्त निगाहें
जो कहना ही नही मानती
और उसपे वो जालिम अदा उनकी
नजरो ने कुछ गुस्ताखी कर दी
देखा किये एकटक इन्हीं निगाहो से
की पलके भी झपकना भूल गए
वो शर्मा गए इस क़द्र मेरी इस गुस्ताखी से
की हम पलके विछाए बैठे रहे राहों में तेरी
और वो दरवज्जे की ओट में छिप छिप कर निहारते रहे यु ही
हाय ये तन्हा मुहब्बत
हाय ये जवानी का नशा
उफ़ ये कमबख्त निगाहें
जो कहना ही नही मानती
और उसपे वो जालिम अदा उनकी
मेरा गम
बहुत गुम हो गये है हम अपने हालातो में खोकर
ये हालात है कैसे जिनने हालत ही बदल दी
की दो घूँट ही पीने दो कुछ तो फिर याद आएगा
बेवफा यार निकला है अंधेरो में तन्हा करके
हाँ तुमसे हम नयन इक बार मिलाल तो चले जाए
इसी इंतज़ार में हम राह तकते रह गए जालिम
कई दिन बीत गए कई रात गुजरी तन्हा
मगर हम राह में बैठे रहे दीदार को तेरे
ये हालात है कैसे जिनने हालत ही बदल दी
की दो घूँट ही पीने दो कुछ तो फिर याद आएगा
बेवफा यार निकला है अंधेरो में तन्हा करके
हाँ तुमसे हम नयन इक बार मिलाल तो चले जाए
इसी इंतज़ार में हम राह तकते रह गए जालिम
कई दिन बीत गए कई रात गुजरी तन्हा
मगर हम राह में बैठे रहे दीदार को तेरे
जय जवान जय किसान जय हिन्दुस्तान
जय जवान जय किसान जय हिन्दुस्तान का नारा सिर्फ हमारे लबो पे रह गया
अब तो जय नितीश जय मोदी जय मुलायम
ये हमारे दिलो में है
देशभक्ति क्या होती है
ये नही पता
पर चाटुकारिता हमे बखूबी पता है
नेताजी जो है
हाँ इन्हें भी ये शब्द तब याद आते है
जब अपना वोट बैंक चमकाना होता है
और हम भी अपना अपनों का और अपने देश का हित
बस इन सभाओ में याद आता है
पर क्या यही हमारे संस्कार है
यही हमारी सभ्यता है
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।।
अब तो जय नितीश जय मोदी जय मुलायम
ये हमारे दिलो में है
देशभक्ति क्या होती है
ये नही पता
पर चाटुकारिता हमे बखूबी पता है
नेताजी जो है
हाँ इन्हें भी ये शब्द तब याद आते है
जब अपना वोट बैंक चमकाना होता है
और हम भी अपना अपनों का और अपने देश का हित
बस इन सभाओ में याद आता है
पर क्या यही हमारे संस्कार है
यही हमारी सभ्यता है
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।।
तेरे आगोश का जादू
तेरे आगोश में आके
सिमट सा जाता हु मैं
जैसे कोई नदी उमंगों से भर जाती है
जब मिलती है समन्दर से
हाँ लहरे भी कई उठती है
ठहर सी जाती है पल में
हाँ ये शांत ह्रदय की थमती हुई थकन है ये
जैसे भूला हुआ कोई अपना
मुड़के हमे आवाज देता है
जैसे अपना कोई जब दिल से हमे
फिर याद करता है
फिर वही हिचकी बन करके हमे कुछ गुदगुदाता है
जैसे भूला हुआ अपना हमे फिर याद आता है
वही मंजिल वही साहिल
वही है हम वही हो तुम
फिर क्यों अजनबी तुम बनके
रहती हो मेरे दिल में
फिर क्यों अजनबी बनकर
रहती हो मेरे दिल में
सिमट सा जाता हु मैं
जैसे कोई नदी उमंगों से भर जाती है
जब मिलती है समन्दर से
हाँ लहरे भी कई उठती है
ठहर सी जाती है पल में
हाँ ये शांत ह्रदय की थमती हुई थकन है ये
जैसे भूला हुआ कोई अपना
मुड़के हमे आवाज देता है
जैसे अपना कोई जब दिल से हमे
फिर याद करता है
फिर वही हिचकी बन करके हमे कुछ गुदगुदाता है
जैसे भूला हुआ अपना हमे फिर याद आता है
वही मंजिल वही साहिल
वही है हम वही हो तुम
फिर क्यों अजनबी तुम बनके
रहती हो मेरे दिल में
फिर क्यों अजनबी बनकर
रहती हो मेरे दिल में
निर्मल अवस्थी
मेरे लब्ज की दास्तान
लब्ज गर साथ देते है
फिर कारवाँ मिल ही जाता है
असीमित आनंद की अनुभूति
और दिल को सुकून पहुचाने वाले पल
फिर न इनको ढूढ़ना पड़ता है
बस शब्दों के अनंत आकाश में जैसे हम खो से जाते है
लिखते है तो लिखते ही जाते है
ये अनंत गहराई का एक ऐसा समंदर है
जिसमे कितनी भी गहराई में चले जाये
और उसमे चिंतन और मनन रुपी नाव में सवार होकर
सच में इस आनंद की अनुभूति और इसका अद्भुत और आश्चर्यजनक एहसास की कल्पना करना सामान्य क्षणों में अत्यंत ही कठिन है
तो मित्रो जो दिल कहे उसकी सुनते जाइये और लिखते जाइये
फिर कारवाँ मिल ही जाता है
असीमित आनंद की अनुभूति
और दिल को सुकून पहुचाने वाले पल
फिर न इनको ढूढ़ना पड़ता है
बस शब्दों के अनंत आकाश में जैसे हम खो से जाते है
लिखते है तो लिखते ही जाते है
ये अनंत गहराई का एक ऐसा समंदर है
जिसमे कितनी भी गहराई में चले जाये
और उसमे चिंतन और मनन रुपी नाव में सवार होकर
सच में इस आनंद की अनुभूति और इसका अद्भुत और आश्चर्यजनक एहसास की कल्पना करना सामान्य क्षणों में अत्यंत ही कठिन है
तो मित्रो जो दिल कहे उसकी सुनते जाइये और लिखते जाइये
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।











