का वर्णन तो शायद ही ये आँखे कर सकती ही जिनकी वृहद
और विशाल अनत सीमाओं के को पार करना या उससे पार जाना बहुत ही मुश्किल है जैसा की
इस चित्र में दर्शाया गया है इसकी मनोहरता का वर्णन तो मैं कर ही नही सकता किन्तु
इतना जरूर कह सकता हु की इसकी सुन्दरता ने जैसे मेरे मन को सम्मोहित सा कर लिया हो
और जिसकी वजह से मुझे इस प्राकृतिक दृश्य के सिवा और कुछ भी दिखाई ही नही दे रहा
है जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को एकटक निहारते हुए शायद सब कुछ भूल जाता है और
एकटक बस उसी को देखता रहता है ठीक उसी प्रकार मैं भी प्रकृति की सुन्दरता में इतना
मंत्रमुग्ध हो गया हु की इस क्षण कुछ और सोचना मेरे लिए संभव नही है ये हरी भरी वादियाँ
हाय मेरे मन आज तू कही पागल न हो जाए सच में ये मनोहरता हर किसी का मन हरने में
सक्षम है
इसलिए सभी को प्रकृति से प्रेम होता है और इसके
लिए कुछ पल प्रकृति के सान्निध्य में जीकर देखिये आप खुद को ना भूल जाए
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