बहुत गुम हो गये है हम अपने हालातो में खोकर
ये हालात है कैसे जिनने हालत ही बदल दी
की दो घूँट ही पीने दो कुछ तो फिर याद आएगा
बेवफा यार निकला है अंधेरो में तन्हा करके
हाँ तुमसे हम नयन इक बार मिलाल तो चले जाए
इसी इंतज़ार में हम राह तकते रह गए जालिम
कई दिन बीत गए कई रात गुजरी तन्हा
मगर हम राह में बैठे रहे दीदार को तेरे
ये हालात है कैसे जिनने हालत ही बदल दी
की दो घूँट ही पीने दो कुछ तो फिर याद आएगा
बेवफा यार निकला है अंधेरो में तन्हा करके
हाँ तुमसे हम नयन इक बार मिलाल तो चले जाए
इसी इंतज़ार में हम राह तकते रह गए जालिम
कई दिन बीत गए कई रात गुजरी तन्हा
मगर हम राह में बैठे रहे दीदार को तेरे

0 comments:
Post a Comment