कभी कभी हम चुपचाप बैठे होते है बिन कहे ही जैसे हमारी खामोशियाँ हमसे बाते करने लगती है जब भी हम तन्हा होते है अकेले होते है हमसे खुद बखुद हमारी खामोशियाँ हमसे बाते करने लगती है कुछ कहने लगती है कुछ सुनने लगती है हाँ ये जरूर है की इनके आने की वजह जो भी हो पर ये कुछ दिल को सताती है कुछ हंसाती है तो कभी कभी रुलाती भी ही पर फिर भी ये कई सरे बेनाम से रिस्तो को हमारे दिलो से जोड़ जाती है एक ऐसा रिश्ता जो हमे रह रह कर याद आता है और उन्हें याद करके दिल को बहुत ही सुकून मिलता है
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