ग़ज़ल में तुझको लिखता हूँ
ख्यालो में मेरे तुम हो
तसवुर में मेरी जानम
की हर लम्हों में मैं हु गुम
सफ़र मेरा है अब तन्हा
ना मंजिल का पता मुझको
मुसाफिर मेरी गलिया है
की मैं करलू तुझे हांसिल
बहुत मासूम है चेहरा
दिल जिसको याद करता है
नही मालूम था मुझको
दर्द ही मिलता है इसमें
ग़ज़ल में तुमको लिखता हु
ख्यालो में मेरे तुम हो
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