१)सपनो के आकाश में उड़ना कितना अच्छा लगता है जिसमे खोकर कुछ पलों के लिए
जैसे हम हकीकत की दुनिया भूल जाते है और सपनो के नीले आस्मां में सिर्फ हम
होते है और जो हमे अच्छे लगते है वो हमारे संग
तो चलिए कुछ पलो के लिए खो जाते है इस वृहद और विशाल खुशियो से भरे सपने के आँचल में
२)जीव तो जीव ही है चाहे वो हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो सच्चा मनुष्य और सच्ची मनुष्यता को किसी प्रमाण की जरूरत नही वो तो मोम की तरह स्वयम ही पिघल जाता है जब किसी को भी दुखी देखता है फिर चाहे वो जुबान वाला मनुष्य या बेजुबान कोई जीव फिर हम क्यों निरर्थक बातों में पड़े हुए है
हे ईश्वर ।।।।।।।।।।।।।।।
३)खुद और खुदा में कितना अंतर है
खुद में डूब जाओ तो खुदा मिल जाता है
जब खुद को ही सब कुछ समझने लगो तो
सब कुछ खो जाता है
तो चलिए कुछ पलो के लिए खो जाते है इस वृहद और विशाल खुशियो से भरे सपने के आँचल में
२)जीव तो जीव ही है चाहे वो हमारे लिए उपयोगी हो या ना हो सच्चा मनुष्य और सच्ची मनुष्यता को किसी प्रमाण की जरूरत नही वो तो मोम की तरह स्वयम ही पिघल जाता है जब किसी को भी दुखी देखता है फिर चाहे वो जुबान वाला मनुष्य या बेजुबान कोई जीव फिर हम क्यों निरर्थक बातों में पड़े हुए है
हे ईश्वर ।।।।।।।।।।।।।।।
३)खुद और खुदा में कितना अंतर है
खुद में डूब जाओ तो खुदा मिल जाता है
जब खुद को ही सब कुछ समझने लगो तो
सब कुछ खो जाता है
हे ईश्वर।।।।।।।।
४)तेरी माशिकी भी क्या चीज है
जो हर वक़्त को भुला देती है
याद रहती है तो सिर्फ तेरी यादे
वो रूमानी चेहरा
वो अनकहे शब्द
वो समंदर से भी गहरी आँखे
जिनमे डूबकर निकलना शायद
ये जिंदगी ही है या
और कुछ
या मौला।।।।।म।।।।।।।
।।
५)गुस्ताखियां ये नजरों की
मैंने रोका बहुत पर ना समझा पाया इन्हें
मगरूर है बहुत ये और उस पर गुस्ताख ये दिल
समझाया बहुत पर नादान है ये
इसमें भी वो रुमानियत है
जिसमे खोकर दो जहां मिल जाते है
४)तेरी माशिकी भी क्या चीज है
जो हर वक़्त को भुला देती है
याद रहती है तो सिर्फ तेरी यादे
वो रूमानी चेहरा
वो अनकहे शब्द
वो समंदर से भी गहरी आँखे
जिनमे डूबकर निकलना शायद
ये जिंदगी ही है या
और कुछ
या मौला।।।।।म।।।।।।।
।।
५)गुस्ताखियां ये नजरों की
मैंने रोका बहुत पर ना समझा पाया इन्हें
मगरूर है बहुत ये और उस पर गुस्ताख ये दिल
समझाया बहुत पर नादान है ये
इसमें भी वो रुमानियत है
जिसमे खोकर दो जहां मिल जाते है
अल्लाह उफ़्फ़ ये मुहब्बत और ये इसका गुरूर
६)गुम हु तेरी फिक्र में
हर पल तुझे ही ढूंढे मेरा दिल
की चल आसमा उनको मैं ढूंढ लाऊ
की चाँद के संग कही वो गुजर रहा होगा
अँधेरी सिलवटी रातों में कही
घूँघट का साया सा ओढ़कर
छिपा होगा इन अंधेरो में कही
वनकर इक रौशनी का जरिया
घुल जाते है हम इन तारो में भी
७)आज कुछ मन गुनगुनाने कर रहा है तो मन से वही कुछ पुरानी लेकिन मेरे हृदय को आनंदविभोर कर देने वाली पंक्तिया गुनगुना रहा हु
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
६)गुम हु तेरी फिक्र में
हर पल तुझे ही ढूंढे मेरा दिल
की चल आसमा उनको मैं ढूंढ लाऊ
की चाँद के संग कही वो गुजर रहा होगा
अँधेरी सिलवटी रातों में कही
घूँघट का साया सा ओढ़कर
छिपा होगा इन अंधेरो में कही
वनकर इक रौशनी का जरिया
घुल जाते है हम इन तारो में भी
७)आज कुछ मन गुनगुनाने कर रहा है तो मन से वही कुछ पुरानी लेकिन मेरे हृदय को आनंदविभोर कर देने वाली पंक्तिया गुनगुना रहा हु
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
ओ मैय्या मोरी मैं नही माखन खायो
और सच में ये भजन गुनगुनाने में ऐसा लग रहा है जैसे मैं छोटा कन्हैय्या बन
गया हु और अपनी मैय्या को रिझा रहा हु और मैय्या भी मेरी शैतानियों को
देखकर और सुनकर भावविभोर हो रही है
सच में सत्य से कही परे है मेरे सपनो का ये आकाश
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।
८)तेरी तस्वीर ही तकदीर मेरी बन गई जैसे
की हाले दिल बया करने का इक जरिया भी तू ही है
मुकद्दर में क्या है
या मर्जी खुदा की है क्या
नही इसकी फ़िक्र की मेरा दिल जलेगा कल
सच में सत्य से कही परे है मेरे सपनो का ये आकाश
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।
८)तेरी तस्वीर ही तकदीर मेरी बन गई जैसे
की हाले दिल बया करने का इक जरिया भी तू ही है
मुकद्दर में क्या है
या मर्जी खुदा की है क्या
नही इसकी फ़िक्र की मेरा दिल जलेगा कल

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