तेरे अक्स के नूर को देखकर
नजरो ने कुछ गुस्ताखी कर दी
देखा किये एकटक इन्हीं निगाहो से
की पलके भी झपकना भूल गए
वो शर्मा गए इस क़द्र मेरी इस गुस्ताखी से
की हम पलके विछाए बैठे रहे राहों में तेरी
और वो दरवज्जे की ओट में छिप छिप कर निहारते रहे यु ही
हाय ये तन्हा मुहब्बत
हाय ये जवानी का नशा
उफ़ ये कमबख्त निगाहें
जो कहना ही नही मानती
और उसपे वो जालिम अदा उनकी
नजरो ने कुछ गुस्ताखी कर दी
देखा किये एकटक इन्हीं निगाहो से
की पलके भी झपकना भूल गए
वो शर्मा गए इस क़द्र मेरी इस गुस्ताखी से
की हम पलके विछाए बैठे रहे राहों में तेरी
और वो दरवज्जे की ओट में छिप छिप कर निहारते रहे यु ही
हाय ये तन्हा मुहब्बत
हाय ये जवानी का नशा
उफ़ ये कमबख्त निगाहें
जो कहना ही नही मानती
और उसपे वो जालिम अदा उनकी

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