बहुत दिन बाद
हम उनसे मिले
बहुत दिन बाद
जब उनसे मिले हम
लेकिन हम थे
निःशब्द
वो भी कुछ कह
ना सके
वो उनकी
सुर्ख आँखों में नमी थी
जाने किस बात
से हम तुम खफ़ा थे
मेरा भी दिल
ही दिल है
कोई पत्थर का
टुकड़ा तो नही है
आँखे भी नम
हुई कुछ मेरी भी
उनको देखकर
लबो ने
कंपकपाते हुए कुछ की थी कोशिश
लेकिन कुछ कह
ना सके ख़ामोशी के सिवा
बादल भी घने
कुछ छा रहे थे
बहुत दिन बाद
उनसे हम मिले थे
जाने किस बात
से हम तुम खफा थे


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