कुछ बिखरे पन्नो को मैं समेट रहा हु ,,,,
जिनमे कुछ अनजानी यादे है ,,,तुम्हारी ,,
कुछ अधूरा पन है इनमे भी तुम्हारी तरहा ,,,,
जो समय के साथ बन गये है कहानी ,,,
कुछ पंक्तियाँ है अतीत में मेरे ,,,
कुछ इन पन्नो की तरहा,,,
कुछ निकल गया ,,,जैसे आँखों का पानी ,,,
जिनमे कुछ अनजानी यादे है तुम्हारी ,,,
हाथो से सहला रहा हु मैं अपने कुछ लम्हों ,,,को
जो वक़्त के हाथो,,से रेत की तरह फिसल गये,,,
कुछ चिपके रह गये मेरी हथेली में ,,,जो
वही मेरी पहचान ,,,हां अधूरी कहानी की तरह रह गये ,,,
बस उन्ही कुछ बिखरे पन्नो को ,,,
समेट रहा हु अपने मन के घरौंदे में ,,,
कभी कभी अँधेरे में यु ही ,,सिसक सिसक के रोता है दिल ...,,,मेरा
जो कल भी तन्हा था ,,,,आज भी तन्हा है ,,,,और ,,शायद कल भी ,,,,,,,
जिनमे कुछ अनजानी यादे है ,,,तुम्हारी ,,
कुछ अधूरा पन है इनमे भी तुम्हारी तरहा ,,,,
जो समय के साथ बन गये है कहानी ,,,
कुछ पंक्तियाँ है अतीत में मेरे ,,,
कुछ इन पन्नो की तरहा,,,
कुछ निकल गया ,,,जैसे आँखों का पानी ,,,
जिनमे कुछ अनजानी यादे है तुम्हारी ,,,
हाथो से सहला रहा हु मैं अपने कुछ लम्हों ,,,को
जो वक़्त के हाथो,,से रेत की तरह फिसल गये,,,
कुछ चिपके रह गये मेरी हथेली में ,,,जो
वही मेरी पहचान ,,,हां अधूरी कहानी की तरह रह गये ,,,
बस उन्ही कुछ बिखरे पन्नो को ,,,
समेट रहा हु अपने मन के घरौंदे में ,,,
कभी कभी अँधेरे में यु ही ,,सिसक सिसक के रोता है दिल ...,,,मेरा
जो कल भी तन्हा था ,,,,आज भी तन्हा है ,,,,और ,,शायद कल भी ,,,,,,,


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