प्रहार कर ,,,तू वार कर ,,,
चीत्कार कर,,,
मत लौट आ तू हार कर
मत लौट आ तू हार कर ,,,
हैं हौंसले ,,,,मजबूत जो
सपनो में भी दहाड़ कर,,
पहचान हो मेरे देश की ,,,
हाथो में तिरंगा झंडा,,,
वाणी में हो माँ भारती ,,
तन से जब लिपटे ये रंग
केशरिया ,,,हरा ,,,,और श्वेत रंग .....
मन में उमंग,,,
आँखों में लहू ,,,
बस माँ भारती से तू प्यार कर ,,,
प्रहार कर ,,,तू वार कर ,,,
चीत्कार कर,,,
मत लौट आ तू हार कर
मत लौट आ तू हार कर ,,,
कश्मीर से,,कन्याकुमारी
हम हिन्द के है पुजारी
हिन्दू भी है,,मुश्लिम भी है
यहा जाति है ,,,यहा धर्म है
हम एक है ,,,सब एक है
बोली अनेक ,,,भाषा अनेक ,,
है अखंड भारत ,,,हम सब है एक
न स्वार्थ कर ,,,ना अभिमान कर
असत्य ,,मोह का तिरस्कार कर
प्रहार कर ,,,तू वार कर ,,,
चीत्कार कर,,,
मत लौट आ तू हार कर
मत लौट आ तू हार कर ,,,
जय हिन्द
जय भारत


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