हम अपनी नजरो में तलासते रहे उन्हें कैद करके अपनी नजरो में लेकिन वो तो परिंदा था खुले आसमा में रहने वाला जो जाने कहा उड़ गया हवाओ के संग नादान मुहब्बत Kavita house 7:18 AM No comments हम अपनी नजरो में तलासते रहे उन्हें कैद करके अपनी नजरो में लेकिन वो तो परिंदा था खुले आसमा में रहने वाला जो जाने कहा उड़ गया हवाओ के संग नादान मुहब्बत Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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