क्यों तन्हा सा रहता हु ,,,,,,
क्यों पागल सा फिरता हु,,,,
क्यों रह रह कर मैं रोता हूँ ,,,,
क्यों बिन तकिये के सोता हूँ ,,,,
क्यों जागती सी इन आँखों में ,,,
मैं तेरे सपने संजोता हु,,,
हाँ मैं पागल हूँ,,,,,या मेरा दिल पागल ,,,,
कुछ लोग जो ऐसा कहते है ,,,
हाँ मैं पागल हूँ,,,,,या मेरा दिल पागल ,,,,
कुछ लोग जो ऐसा कहते है ,,,
क्यों पागल सा फिरता हु,,,,
क्यों रह रह कर मैं रोता हूँ ,,,,
क्यों बिन तकिये के सोता हूँ ,,,,
क्यों जागती सी इन आँखों में ,,,
मैं तेरे सपने संजोता हु,,,
हाँ मैं पागल हूँ,,,,,या मेरा दिल पागल ,,,,
कुछ लोग जो ऐसा कहते है ,,,
हाँ मैं पागल हूँ,,,,,या मेरा दिल पागल ,,,,
कुछ लोग जो ऐसा कहते है ,,,
जाने अनजाने में शायद ,,,,
सदियों का दर्द ओ सहते हैं ,,,
हाँ चांदनी सी इन रातो ,,,
रातो भर बाते करता हु ,,,
सुबह के उजियारे के संग,,,
जाने क्यों छोड़ के जाते तुम ,,,,
फिर भी मैं तकता रहता हु ,,,,,
ठहरे हुए शीतल जल में कही ,,,
जाने क्यों मन ये आतुर है ,,,,,
जाने क्यों पलके झुक जाती है ,,,,
अब चाँद आता हर रातो में
पर तुम क्यों नही अब आते हो ,,,


0 comments:
Post a Comment