ये प्यार क्या है एक पहेली ,,,,
या अनजाने में बन गयी है मेरी सहेली ,,,
जाने क्यों ,,राते ढलती ,,,
जाने क्यों सुबह होती है ,,,
हाँ अकेले ही मैं तुम से ही बात करता हूँ,,,
पर कभी कभी ,,,जाने कैसी बेचैनी होती है तुम बिन ,,,
जैसे नीरस हो तुम बिन ये जीवन
इस काल्पनिक डोर के सहारे ,,,
सपनो के संसार ,,में उड़ते रहते है
जब नींद टूटती है ,,,तो टूट जाती है ,,,
ये डोर ,,,
तुम एक एहसास हो ,,,जो हर पल मेरे साथ रहते हो ,,
सच में हर पल लगती हो नई नवेली
ये प्यार क्या है एक पहेली ,,,,
या अनजाने में बन गयी है मेरी सहेली ,,,

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