थोडा थोडा मन छुब्ध भी होता है की हम कितने स्वार्थी हो गये कही ये स्वार्थ की पराकाष्ठा इतनी ना बढ़ जाए की हमको ही भस्म कर दे ,,,,,वो स्वार्थ रुपी राक्षस चाहे अपने साथ या किसी और के साथ ,,,कम से कम वो इतना नही बढ़ना चाहिए की हम ये भी भूल जाए की हम हिन्दुस्तानी है या अपना देशहित ही भूल जाए और आगा ऐसा हुआ तो इसका परिणाम हम भलीभांति जानते है की क्या हो सकता है देश की एकता और अखंडता इन शब्दों के विपरीत ही होगी और हम ,,,हमारी संस्कृति ,,,हमारी एकता ,,और अखंडता सब शीशे की तरह असीमित टुकडो में बिखर जायेगी ,,,इसलिए धैर्य बहुत जरूरी है ,,,और इसमें किसी भी गलत बात को सत्य साबित करने के लिए किसी प्रकार की जिद किसी को नही करनी चाहिए ,,,बल्कि जो नही समझ रहे उनको समझाने का प्रयास करना चाहिए
जय हिन्द
जय भारत
जय हिन्द
जय भारत

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