Sunday, September 27, 2015
मुझे ऐसा काम करने की इच्छा है जिसमे लोगो की भलाई हो और मुझे और मन को संतुष्टि की साथ साथ ऐसा आनंद और ख़ुशी मिले जिसे मैं इस दुनिया के मोह जाल में फंसकर नाही पा सकता हु ना देख सकता हु और सायद अधिकतर लोगो की इच्छा जो कर रहे है उससे बढ़कर होगी लेकिन हम सोचते ज्यादा करते कम है मैंने एक नन्ही शुरुवात की है जिससे मुझे और मेरी आत्मा को बहुत कुशी मिली और शायद उनको भी जो इसमें सहभागी थे मेरे साथ काम करने वाले मेरे सहयोगी उनकी एक छोटी सी इच्छा थी की वो कुछ पढना चाहते है कुछ आगे बढ़ना चाहते है कुछ पाना चाहते है लोगो को कुछ बताना चाहते है की हममे भी है दम मेरे पास भी रविवार को समय था और लोगो ने भी पूरा सहयोग किया उन्हें पढने की इच्छा है मुझे पढ़ाने की मैंने कहा की ठीक है आप लोग आइये मैं तैय्यार हु पर आपक आना अनिवार्य है और फिर क्या सभीने प्लान बनाया और आज इकट्ठा हुए लगभग २ घंटे हमने पढ़ा और पढ़ाया उनको भी काफी मजा आया लेकिन मुझे अच्छा ये लगा की उनके अन्दर कुछ नही बहुत कुछ सीखने की इच्छा है और ये सब मैं इसलिए बता रहा हु की मेरे पढ़े लिखे भाई भी ऐसा कर सकते अपने कीमती समय से थोडा वक़्त निकालकर किसी को बहुत कम समय में बहुत कुछ दे सकते है
एक नन्ही पहल करके देखिये
Saturday, September 26, 2015
Yes that is the position of our country dirt, pollution, corruption, illiteracy, corruption, diseases of all this, I am not sure we are one of the emerging powers of the world we are going to forget the realities of what our moral responsibility not only of our country but the entire world every every man be aware of when it will not mess illness or illiteracy will not be no discrimination nor inequality will continue to for example a family thing to be aware of the messSo I believe it is not 100%, at least 50% of the dirt will be eliminated
Given today's situation, we all need to be vigilant and stand up together and more and more people need to explain
India will then clean and clean
India will then clean and clean
Yes that is the position of our country dirt, pollution, corruption, illiteracy, corruption, diseases of all this, I am not sure we are one of the emerging powers of the world we are going to forget the realities of what our moral responsibility not only of our country but the entire world every every man be aware of when it will not mess illness or illiteracy will not be no discrimination nor inequality will continue to for example a family thing to be aware of the messSo I believe it is not 100%, at least 50% of the dirt will be eliminated
Given today's situation, we all need to be vigilant and stand up together and more and more people need to explain
India will then clean and clean
हर व्यक्ति हो जागरूक
जी हाँ जो हमारे देश की स्थिति है गंदगी ,प्रदूषण,भ्रस्टाचार,अशिक्षा,नैतिक पतन ,बीमारिया इन सबको देखते हुए मुझे नही लगता की हम विश्व की उभरती शक्तियों में से एक है हम अपनी जमीनी हकीकत को क्यों भूलते जा रहे है जो की हमारी नैतिक जिम्मेदारी है हर हर मनुष्य हमारे देश का ही नही बल्कि संपूर्ण विश्व का जागरूक हो जाए तो यह न गंदगी रहेगी न अशिक्षा रहेगी न बीमारी रहेगी ना भेदभाव रहेंगे ना ही असमानता होगी उदाहरण स्वरुप हम एक परिवार की बात करे जो गंदगी के लिए जागरूक हो तो जैसे अपने घर में साफ़ सफाई रखता ही उसी प्रकार अपने घर के बहार भी चारो तरफ किसी प्रकार की पन्नी कचरा हो उसे साफ़ करने की नैतिक जिम्मेदारी उठाये और ठीक ऐसे ही हर घर हर परिवार अपने घर के बहार चारो ओर साफ़ सफाई का ध्यान रखे तो १००% नही तो मेरा ये मानना है की कम से कम ५०% गंदगी का सफाया हो जाएगा
आज की स्थिति देखते हुए हम सभी को जागरूक और एक साथ उठ खड़े होने की जरूरत है और ज्यादा से ज्यादा लोगो को समझाने की जरूरत है
तभी बनेगा स्वच्छ और साफ़ सुथरा भारत
आज की स्थिति देखते हुए हम सभी को जागरूक और एक साथ उठ खड़े होने की जरूरत है और ज्यादा से ज्यादा लोगो को समझाने की जरूरत है
तभी बनेगा स्वच्छ और साफ़ सुथरा भारत
Friday, September 25, 2015
value of our natural resources
A long time ago in a small village surrounding lush green trees were small pond full of crops on the farm were men cut off the lure of money when you are in the trees, making home for the destroy pondse so Sun God became angry and They have plenty of heat and the rain has stopped the electricity at night was not too hungry, thirsty people wept, some people began to leave the village and plant trees again put some old man of the new pond and make some He did so again on the day of the Sun God be pleased surrounding greenery and people again learned to use solar energy in their homes due to the darkness of the Rato got away forever because trees protect everybody, then we So be happy and healthy Blow clap
Thanks
अमूल्य प्राक्रतिक धरोहर
बहुत समय पहले एक छोटे से गाँव में चारो तरफ हरे भरे पेड़ पौधे छोटे
छोटे तालाब थे फसलो से भरे खेत थे पर कुछ आदमियों ने पैसे के लालच में पड़कर सभी
पेड़ पौधे काट डाले तालाबो को खत्मकरके घर बना लिए इसलिए सूर्य भगवान् नाराज हो गये
और उन्होंने खूब गर्मी की और बारिश होनी बंद कर दी वह रात में बिजली भी नही होती
थी लोग भूख प्यास से रोने लगे कुछ लोग तो गाव छोड़कर जाने लगे फिर कुछ बड़े बुजर्गो
ने कहा की फिर से पेड़ पौधे लगाते है और नए तालाब बनाते है कुछ दिन उन्होंने ऐसा ही
किया फिर सूर्य भगवान् खुश हो गये चारो तरफ फिर से हरियाली और लोगो ने सौर उर्जा
का इस्तेमाल करना भी सीख लिया जिसके कारण उनके घरो में रातो का अँधेरा दूर हो गया
हमेशा के लिए इसलिए सब लोग पेड़ो की रक्षा करो तो हम भी खुश और स्वस्थ रहेंगे तो
बजाओ ताली
धन्यवाद
Thursday, September 24, 2015
सांझ की ओट में
हाँ उस सांझ की ओट में बहुत ही लम्हे गुजारे है हमने
कुछ खट्टे कुछ मीठे और कुछ तीखे भी
पर शामे का इंतज़ार हम सभी को रहता है किसी को छुट्टी चाहिए होती है
किसी को घर जाना होता है
किसी को शाम की चाय की गर्मा गर्म चुस्की
तो किसी रांझे को अपनी हीर के साथ अपने लम्हों को बिताने का
ये सबसे सुन्दर और सुनहरा मौका होता है
और जैसे जैसे शाम ढलती है सूरज अपनी लालिमा धीरे धीरे कम करने लगता है
और इससे ये भी याद आया की सूरज को ढलने का वो सुन्दर दृश्य तो वही जानते है जिन्होंने नदी के किनारे या समंदर की सरहद पर ढेरो शामो से मुलाकात की हो वो रंगीन सुनहरी चादर जो पूरे के पूरे सागर को सुनहरी कर देती है जैसे की पानी में चमकीली आग लग गयी हो और वो तेज उठती लहरे जो उस सुनहरी चादर को तिनका तिनका बिखेर देती है तो कुछ मेरे मित्रो को ये प्राकृतिक मनोहर दृश्य देखने के लिए भी शाम का इंतज़ार रहता है इसीलिए कहता हु की सांझ की ढलती मधुरिम पालो का मजा लीजिये और खो जाइये अपनी रंगीन दुनिया में
बस इतना सा ही ख्वाब है
कुछ खट्टे कुछ मीठे और कुछ तीखे भी
पर शामे का इंतज़ार हम सभी को रहता है किसी को छुट्टी चाहिए होती है
किसी को घर जाना होता है
किसी को शाम की चाय की गर्मा गर्म चुस्की
तो किसी रांझे को अपनी हीर के साथ अपने लम्हों को बिताने का
ये सबसे सुन्दर और सुनहरा मौका होता है
और जैसे जैसे शाम ढलती है सूरज अपनी लालिमा धीरे धीरे कम करने लगता है
और इससे ये भी याद आया की सूरज को ढलने का वो सुन्दर दृश्य तो वही जानते है जिन्होंने नदी के किनारे या समंदर की सरहद पर ढेरो शामो से मुलाकात की हो वो रंगीन सुनहरी चादर जो पूरे के पूरे सागर को सुनहरी कर देती है जैसे की पानी में चमकीली आग लग गयी हो और वो तेज उठती लहरे जो उस सुनहरी चादर को तिनका तिनका बिखेर देती है तो कुछ मेरे मित्रो को ये प्राकृतिक मनोहर दृश्य देखने के लिए भी शाम का इंतज़ार रहता है इसीलिए कहता हु की सांझ की ढलती मधुरिम पालो का मजा लीजिये और खो जाइये अपनी रंगीन दुनिया में
बस इतना सा ही ख्वाब है
which is too much far with their little hearts,,,,,,,,जो पंर दिल के टुकड़े से कोसो दूर है
वो कितनी निःसहाय होंगी जिन्होंने अपने दिल के टुकड़े को मीलो दूर अपने से रखा सिर्फ और सिर्फ उसकी खुशिया पूरी करने के लिए उसके सपने पूरे करने के लिए लेकिन आज मुझे भी ये एहसास हुआ की मेरी माँ कितनी अकेली है जिनकी तन्हाई और जिनका अकेलापन ही आज उनका साथी है उनकी यादो में मैं हूँ उनका नाहा सा दिल का टुकड़ा जो होकर भी उनके पास नही है आज कल उनकी तबियत खराब थी तो मेरी बात मूमी से हुई लेकिन जब आज मैंने बात की तब वो बोल नही पा रही थी इतनी भावुक थी उनके कांपते हुए होठ से जो दर्द भरे शब्द निकल रहे थे वो उनके अकेलेपन और उनके दर्द को ब्यान कर रहे थे और शायद मुझको भी ये महसूस हो रहा था की मेरे पास सब कुछ है पर फिर भी बहुत बदु कमी है जिससे वंचित मैं भी हु और मेरी माँ भी पर मजबूरी एक ऐसी चीज होती है या समय कह सकते है जो मनुष्य के समक्ष ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न कर देते है जिनके सामने हम अपने आपको एकदम निःसहाय और विवश पाते है की सिर्फ सिसकने के सिवा कच भी नही कर सकते और वो दुःख वो दर्द वो अकेलापन मैं भी कही महसूस कर रहा था और उस दर्द से इस पल मैं भी गुजर रहा था पर पर पर...........
मेरी माँ
मेरी माँ आज अकेली हो गयी
आज तन्हाई उनकी सहेली हो गयी
मेरी माँ आज अकेली हो गयी
कितनी नाजो से हमको पाला था
हर गम सहके हमको सम्हाला था
खुद रोके हमको हंसाती थी
आज वो खुद इक पहेली ही गयी
मेरी माँ आज अकेली हो गयी
आज तन्हाई उसकी सहेली हो गयी
हर सपना था उनका मैं
जिनको मन में उन्होंने संजोया था
मेरे ख्वाबो को सच करने के लिए अपनी आँखों को हर पल भिगोया था
आज मीलो दूर जब उनसे बात हुई
तो कंपकपाते होठो से कुछ शब्द सुने उनके
शायद वो भावुक होकर कुछ कहना चाहती थी
और बहुत कुछ बिन कहे ही कह दिया जैसे अपने अनकहे शब्दों में
आज आँखों में मेरे आंसू है
दिल भारी भारी है
कुछ में शायद मैं सक्षम नही आज
आज सूनी मेरी हथेली हो गयी
क्यों माँ मेरी आज अकेली हो गयी
क्यों तन्हाई उनकी सहेली हो गयी
ये हर उस माँ के लिए
जो अपने नन्हे से दिल के टुकड़े से दूर है 😭😭😭😭😭
Tuesday, September 22, 2015
जिन्दगी किस ओर जा रही है
जिंदगी किस और जा रही है पता ही नही चल रहा ना ही आदि का पता है ना अंत का फिर भी कुछ जानी अनजानी राहों पर चले जा रहे है एक अनजान पथिक की तरह जिसमे ना आज का पता है ना कल क्या होगा हर तरफ प्रतिस्पर्धा वो भी स्वार्थ से सनी हुई जिसमे सिर्फ और सिर्फ मैं ही मैं है और दूसरा कुछ भी नही कभी कभी चलते चलते इतने तन्हा इतने अकेले होते है जबकि चारो तरफ भीड़ होती है जहां किसिसको न देखने का ना सुनने का समय होता है ऐसी भीड़ भरी तन्हाई में खुद को निःसहाय सा अकेला पाता हु और उस परिस्थिति में अपने आप को संभालना कभी कभी अत्यंत ही कठिन होता है और यही बात कहे उन्काहे शब्दों के साथ जुबान पर आ जाती है की
हमारी जिन्दगी किस ओर जा रही है ?????????????????
हमारी जिन्दगी किस ओर जा रही है ?????????????????
Monday, September 21, 2015
सुविचार
अति ही अंत का कारण होती है सभी इस बात से वाकिफ है मगर फिर भी हम अपनी सीमा क्यों पार करते है ये बिलकुल समझ से परे है क्या हम अपनी आदतो अपनी इच्छाओ के दास इस कदर हो गए है की हमारे लिए क्या उचित है और क्या अनुचित है इसका भी संज्ञान नही है
हमे इस निद्रा से उठना होगा लेकिन क्या हम तब उठेंगे जब हमारे पास सहेजने के लिए कुछ भी नही होगा ????????????
हमे इस निद्रा से उठना होगा लेकिन क्या हम तब उठेंगे जब हमारे पास सहेजने के लिए कुछ भी नही होगा ????????????
Sunday, September 20, 2015
क्यों है इतना शोर चहुओर
क्यों है इतना शोर चहुओर
छाया है क्यों ये अन्धकार घनघोर
घन भी गरज रहे है
उड़ रहे है कारे कारे बदरा
बिजली चमक रही है
मन है क्यों इतना अशांत
क्या जाना है अपने सजन से दूर
क्यों है इतना शोर चहुओर
छाया है क्यों ये अन्धकार घनघोर
क्या ये विरहवेदना है
इसलिए व्याकुल है मन
ना वो बोलते है मुझसे कुछ
ना हम कहते है उनसे कुछ
लेकिन बाते बहुत है
जो उनसे करनी है
फिर भी क्यों व्याकुल है हम
अंग अंग सिथिल है
क्यों निराशा है चहुओर
क्यों है इतना शोर चहुओर
छाया है क्यों ये अन्धकार घनघोर
क्या इनके बारे में सिर्फ हम बात ही करते है ??????????????
क्यों ऐसा क्यों होता है की हम अपने नैतिक कर्तव्यों अपनी जिम्मेदारियों या जो भी भला बुरा होता है हमारे साथ हम उनके बारे में सिर्फ बात ही करते है सिर्फ बात ,और बातो तक ही सीमित हो जाते है ,हाँ बातो में में तो हम सब चाँद तारे तोड़ने की भी बात करते है परन्तु असलियत में जब उन जिम्मेदारियों को निभाने की बात आती है तब हम निःशब्द हो जाते है जबकि ऐसा नही होना चाहिए लेकिन ऐसा ही होता है क्यों आखिर क्यों ???????????????? कुछ ऐसे सवाल जो मेरे जहन में गूंजते रहते है जो कभी कभी इतने उग्र हो जाते है मेरे मन में की मन सुप्तावस्था से जागकर अशांत हो जाता है क्या आप लोगो के भी साथ भी ऐसा होता है चाहे वो सामाजिक जिम्मेदारी हो या प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी हो
शायद हम लोगो को उजड़ने से पहले चिंतन और मनन करने की जरूरत है और समय रहते ही जागने की भी
शायद हम लोगो को उजड़ने से पहले चिंतन और मनन करने की जरूरत है और समय रहते ही जागने की भी
Saturday, September 19, 2015
what is life??????????????????????/
what is life
Is anonymous
Is discredited
Is yahoo
distructed which is sometimes openly
It is beautiful
Gentle too
holy also
Agile is also
Sometimes are found in human forms is God
It depends on our luck
At our works
Our mercy
Our compassion
Never sleep and never wake up in on our humanity
Depends on the individual
She is sad or grumpy
The same changes to these forms of life
There is an attempt to make him
Overrun of the other
Depending on the friends they own themselves
जिन्दगी क्या है ???????? what is life???????????????//
जिन्दगी क्या है
गुमनाम है
बदनाम है
हैवान है
जो लुटती कभी कभी सरेआम है
ये सुन्दर भी है
कोमल भी है
निर्मल भी है
चंचल भी है
कभी कभी मानव रूपों में भी मिल जाते भगवान् है
पर ये निर्भर करता है हमारी किस्मत पर
हमारे कर्मो पर
हमारी करुना पर
हमारी दया पर
हमारी अन्दर कभी सोती तो कभी जागती हुई मानवता पर
जो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है
की वो करुण है या क्रोधी
वही बदलता है जिन्दगी के इन रूपों को
एक की कोशिश रहती है उसे बनाने की
तो दुसरे की उजाड़ने की
तो मित्रो ये खुद स्वयं पर निर्भर करता है
गुमनाम है
बदनाम है
हैवान है
जो लुटती कभी कभी सरेआम है
ये सुन्दर भी है
कोमल भी है
निर्मल भी है
चंचल भी है
कभी कभी मानव रूपों में भी मिल जाते भगवान् है
पर ये निर्भर करता है हमारी किस्मत पर
हमारे कर्मो पर
हमारी करुना पर
हमारी दया पर
हमारी अन्दर कभी सोती तो कभी जागती हुई मानवता पर
जो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है
की वो करुण है या क्रोधी
वही बदलता है जिन्दगी के इन रूपों को
एक की कोशिश रहती है उसे बनाने की
तो दुसरे की उजाड़ने की
तो मित्रो ये खुद स्वयं पर निर्भर करता है
Friday, September 18, 2015
मुट्ठी भर ख़ुशी
वो खुशनसीब जहां है जहां मिल जाए कुछ पल हंसी
हम तो हंथेलियो पे तलासते है बस मुट्ठी भर ख़ुशी
कुछ ना कीजिये तो बाँट लीजिये थोडा वक़्त हम फूलो संग
की बगीचे में मिल जायेगी आपको वो दौलत हंसी
किसी रोते हुए बच्चे को हंसा के देखो
कमी पूरी हो जायेगी सच्चे दोस्त की
और पा लेंगे आप दो पल ही सपनो का जहां
जहां हर कदम मिलती है मुट्ठी भर ख़ुशी
हम तो हंथेलियो पे तलासते है बस मुट्ठी भर ख़ुशी
कुछ ना कीजिये तो बाँट लीजिये थोडा वक़्त हम फूलो संग
की बगीचे में मिल जायेगी आपको वो दौलत हंसी
किसी रोते हुए बच्चे को हंसा के देखो
कमी पूरी हो जायेगी सच्चे दोस्त की
और पा लेंगे आप दो पल ही सपनो का जहां
जहां हर कदम मिलती है मुट्ठी भर ख़ुशी
एक अनजान पडाव जिन्दगी का
जिन्दगी भी ना जाने कितने पडावो से गुजरती है कही पर सफ़र होता है और कही पर हमसफ़र होता है कभी इसमें धुप मिलती है तो कभी छाव और हमे हर परिस्थिति से जीने की कला सिखाती है ये जिन्दगी वाकई में कभी कभी तो खुद से भी अनजान से हो जाते है और ये सोचने में भी सक्षम नही होते है की हम क्या है क्यों है
हम कहा है क्या उद्देश्य है हमारा लेकिन ये सुप्तावस्था की परिचायक है और सफलता और जीतना हमेशा जागने और निरंतर आगे बढ़ने वाले को मिलती है इसीसे मिलते जुलते ये हमारी जिन्दगी और इससे जुड़े पडाव है
तो आओ दोस्तों यही कहते है की जी ले जरा जिन्दगी के इन बेशकीमती पलो को
हम कहा है क्या उद्देश्य है हमारा लेकिन ये सुप्तावस्था की परिचायक है और सफलता और जीतना हमेशा जागने और निरंतर आगे बढ़ने वाले को मिलती है इसीसे मिलते जुलते ये हमारी जिन्दगी और इससे जुड़े पडाव है
तो आओ दोस्तों यही कहते है की जी ले जरा जिन्दगी के इन बेशकीमती पलो को
Wednesday, September 16, 2015
My little angel
The patio of my mind sparrow
Which is around create sweet sound
sometimes dancing sometimes shying
Remains hidden somewhere in a corner
Then I went about it seeks Hu said in nest
Who told you I cry my beloved doll
She never smiles slowly starts laughing laughter by
Who then would have found him by listening to his sound
He is like my a small world
That is hidden in all my happiness
He is like my life
My little angel
So when we were anonymous is handled conscious people
But the voice is not heard he had heart trouble
In the last moment when it was very difficult, I love with pain
We were dying to know which of them not only
What we now complain
Of whom not only wished I had got him whole life
So close was their life more than ever
But then she went out and the time the non-
In the last moment when it was very difficult, I lovewith pain
We were dying to know which of them not only
For which I was crazy
I also had a lot of dreams
For which I was crazy
Or to the extent it was insanity
He was like my nano Mascara
When he lived near me in mind
So there was uneasiness one
When he came before me,
Millions were awakened in the heart wishes
Some stretch of the dearest
He used to come to me in dreams
Who were unknowingly in dreams
They were just my heart
Who were unknowingly in dreams
They were just my heart
Soul and body connection
Soul and body connection
The dried leaves are flying in the sky is endless, with air Joko Nor does not know the whereabouts of their destination she is totally dependent on air Joko the same way that the air will flow freely in yellow But will fly as soon as the wind speed will be lower or freeze the freedom that they flaunt their cool to fly into the sky or the trip probably will take a pause and he fell to earth where they will be non-existent
Our life is also bound by the same way as the soul of our soul with the soul left the body while it is vital that the body of the soul leaving the body not any value is left is the valueless
आत्मा और शरीर का सम्बन्ध
सूखे हुए कुछ पत्ते हवा के झोको के साथ अनंत आकाश में उड़ते जाते है ना ही उन्हें अपनी मंजिल का पता नाही ठिकाने का वो तो पूर्ण रूप से हवा के झोको पर निर्भर है जिस ओर हवा का प्रवाह होगा वो उसी तरफ लहलहाते हुए स्वतंत्र रूप से उड़ते रहेंगे परन्तु जैसे ही हवा की गति कम होगी या स्थिर हो जायेगी फिर उनकी वो स्वतंत्रता वो इठलाना मस्त आसमान में उड़ना शायद या उस यात्रा पर विराम लग जाएगा और वो जहाँ धरा पर गिरे वो अस्तित्वहीन हो जायेंगे
ठीक उसी प्रकार हमारा जीवन भी हमारी आत्मा से बंधा हुआ जैसे ही आत्मा ने साथ छोडा तो ये शरीर जो आत्मा रहने पर सजीव है वो आत्मा के शरीर से निकलते ही शरीर का भी कोई मूल्य नही रह जाता है ये मूल्यहीन हो जाता है
ठीक उसी प्रकार हमारा जीवन भी हमारी आत्मा से बंधा हुआ जैसे ही आत्मा ने साथ छोडा तो ये शरीर जो आत्मा रहने पर सजीव है वो आत्मा के शरीर से निकलते ही शरीर का भी कोई मूल्य नही रह जाता है ये मूल्यहीन हो जाता है
जो अनजाने थे ख्वाबो में वो दिल में मेरे बस जाते थे
मेरे भी बहुत से सपने थे
जिनके लिए मैं पागल था
या दीवानापन इस हद तक था
जैसे वो मेरे नैनो का काजल था
जब पास वो रहते थे मन के मेरे
तो इक बेचैनी सी रहती थी
जब सामने आते थे वो मेरे
लाखो ख्वाइश दिल में जगती थी
कुछ अंगड़ाई लेकर के सनम
सपनो में मेरे वो आते थे
जो अनजाने थे ख्वाबो में
वो दिल में मेरे बस जाते थे
जो अनजाने थे ख्वाबो में
वो दिल में मेरे बस जाते थे
बहुत मुस्किल हुई थी जब दर्दे मुहब्बत में गुजरे पल मेरे
हम तो गुमनाम थे जब होश सँभालते है लोग
लेकिन आवाज उनने न सुनी तो तकलीफ हुई दिल को
बहुत मुस्किल हुई थी जब दर्दे मुहब्बत में गुजरे पल मेरे
की जिनके लिए मर हम रहे थे उन्हें पता ही नही
अब किससे शिकायत करते हम
की जिसको चाहा मैंने ताउम्र वो मिला ही नही
पास तो उनके थे हमेशा जिन्दगी से बढ़कर
लेकिन वक़्त ही गैर निकला तो वो किसी और के हुए
मन के आँगन की चिरैय्या
मेरे मन के आँगन की चिरैय्या
जो इधर उधर चहचहाती रहती है
कभी इठला कर कभी शर्मा कर
छिप जाती है किसी कोने में कही
फिर मैं इधर उधर उसका ढूंढता रहता हु झरोखो में कही
मैं पुकारता हु मेरी प्यारी गुडिया कहा हो तुम
वो धीरे धीरे मुस्कराती है कभी ठहाके लगाकर हंसने लगती है
तब उसकी आहट को सुनकर उसको ढूंढ लेता हु
जैसे वो मेरा इक छोटा सा संसार है
उसी में मेरी सारी खुसिया छिपी है
जैसे वही मेरी जिन्दगी है
मेरी नन्ही सी परी
मेरी नन्ही सी परी
जो इधर उधर चहचहाती रहती है
कभी इठला कर कभी शर्मा कर
छिप जाती है किसी कोने में कही
फिर मैं इधर उधर उसका ढूंढता रहता हु झरोखो में कही
मैं पुकारता हु मेरी प्यारी गुडिया कहा हो तुम
वो धीरे धीरे मुस्कराती है कभी ठहाके लगाकर हंसने लगती है
तब उसकी आहट को सुनकर उसको ढूंढ लेता हु
जैसे वो मेरा इक छोटा सा संसार है
उसी में मेरी सारी खुसिया छिपी है
जैसे वही मेरी जिन्दगी है
मेरी नन्ही सी परी
मेरी नन्ही सी परी
Tuesday, September 15, 2015
सहानुभूति या दर्द की अनुभूति
क्या तुझसे हम कहे ऐ दिल
बेचारे दिल की है मुस्किल
बडी मुश्किल घडी है ये
नही नजदीक अब साहिल
फांसले अब गुजरते है
चिढाते है सताते है
हाँ तेरी यादो में खोकर
कुछ हम मदहोश हो जाते
कभी ग़मगीन हो जाते
कभी मुश्काने लगते लब
कभी हम फूट फूट कर
यु ही आंसू बहाते है
मगर तुझे क्या बताये दिल
बहुत अब दूर है मंजिल
बडी मुश्किल घडी है ये
नही नजदीक अब साहिल
मैं हु अनजान अब खुद से
राहे भी सूनी है अब तो
अजनबी वक़्त है हमसे
हु पथिक अनजान शहरो का
है अब मन की शिकायत ये
नही कुछ करना अब हांसिल
बडी मुश्किल घडी है ये
नही नजदीक अब साहिल.....................................
बेचारे दिल की है मुस्किल
बडी मुश्किल घडी है ये
नही नजदीक अब साहिल
फांसले अब गुजरते है
चिढाते है सताते है
हाँ तेरी यादो में खोकर
कुछ हम मदहोश हो जाते
कभी ग़मगीन हो जाते
कभी मुश्काने लगते लब
कभी हम फूट फूट कर
यु ही आंसू बहाते है
मगर तुझे क्या बताये दिल
बहुत अब दूर है मंजिल
बडी मुश्किल घडी है ये
नही नजदीक अब साहिल
मैं हु अनजान अब खुद से
राहे भी सूनी है अब तो
अजनबी वक़्त है हमसे
हु पथिक अनजान शहरो का
है अब मन की शिकायत ये
नही कुछ करना अब हांसिल
बडी मुश्किल घडी है ये
नही नजदीक अब साहिल.....................................
वही हु मैं पर तुम नही
तेरी ही राहो में अक्सर भटकता क्यों है मेरा मन
ना जाने कैसी ख्वाइश है की जिसमे पागल है ये मन
की इकटक देखते रहने में होता क्यों दीवानापन
मैं सब कुछ भूल करके अपना कर दिया सब कुछ अब अर्पण
तेरी ही राहो में अक्सर भटकता क्यों है मेरा मन
ना जाने कैसी ख्वाइश है की जिसमे पागल है ये मन
वही यादे वही मंजर
वही हु मैं पर तुम नही
वही पंछी वही नदिया
वही हु मैं पर तुम नही
कहा ढूंढें तुझे ये दिल
कही पागल न जाऊ
ये धड़कन भी धडकती है
लेकिन मैं हु पर तुम नही
ना जाने कैसी ख्वाइश है की जिसमे पागल है ये मन
की इकटक देखते रहने में होता क्यों दीवानापन
मैं सब कुछ भूल करके अपना कर दिया सब कुछ अब अर्पण
तेरी ही राहो में अक्सर भटकता क्यों है मेरा मन
ना जाने कैसी ख्वाइश है की जिसमे पागल है ये मन
वही यादे वही मंजर
वही हु मैं पर तुम नही
वही पंछी वही नदिया
वही हु मैं पर तुम नही
कहा ढूंढें तुझे ये दिल
कही पागल न जाऊ
ये धड़कन भी धडकती है
लेकिन मैं हु पर तुम नही
मानवता क्या है ये शायद ...........
मानवता क्या है ये शायद सीरिया में बेगुनाह बच्चो, औरतो ,वृद्धो पर जुल्म करने वाले निर्दयी आतंकवादी भूल गए है लेकिन वो इतना जरूर याद की ये हर धर्म में कहा गया है की जैसा आप बोवोगे वैसा ही काटोगे ,
अगर आप किसी के साथ बुरा बर्ताव करते है तो आपको परिणामस्वरूप बुरे ही मिलेगी और अगर आप अच्छे और मानव के कल्याण के लिए कोई कार्य करते हो तो उसके अच्छे परिणाम मिलेंगे
लेकिन विनाशकाले विपरीत बुद्धि इसीलिए ये आतंकवादी आँखे होते हुए भी अंधे हो गये है और अपनी सारी सीमाए पार कर चुके है अब इनका अंत निश्चित है
तो मेरा यही कहना है सुधर जाओ
नही तो जड़ से उजड़ जाओगे
अगर आप किसी के साथ बुरा बर्ताव करते है तो आपको परिणामस्वरूप बुरे ही मिलेगी और अगर आप अच्छे और मानव के कल्याण के लिए कोई कार्य करते हो तो उसके अच्छे परिणाम मिलेंगे
लेकिन विनाशकाले विपरीत बुद्धि इसीलिए ये आतंकवादी आँखे होते हुए भी अंधे हो गये है और अपनी सारी सीमाए पार कर चुके है अब इनका अंत निश्चित है
तो मेरा यही कहना है सुधर जाओ
नही तो जड़ से उजड़ जाओगे
Sunday, September 13, 2015
Kuch dil sahma tha
Ik chaand mila tha raste me
Kuch pl jo andhere se gujre hm
Un baaho me the simat gye
Jb raat ki odhi chaadar thi
Kuch dil sahma tha
Dhadkan thi maddham
Aankho me kaala kaajal tha
Sparsh jo tha us pl me radhe
Ha ye hi muhbbat hai sayad
Ha ye hi muhbbat hai sayad
Mere dil ne yhi tbbola tha
Kuch pl jo andhere se gujre hm
Un baaho me the simat gye
Jb raat ki odhi chaadar thi
Kuch dil sahma tha
Dhadkan thi maddham
Aankho me kaala kaajal tha
Sparsh jo tha us pl me radhe
Ha ye hi muhbbat hai sayad
Ha ye hi muhbbat hai sayad
Mere dil ne yhi tbbola tha





















