क्यों है इतना शोर चहुओर
छाया है क्यों ये अन्धकार घनघोर
घन भी गरज रहे है
उड़ रहे है कारे कारे बदरा
बिजली चमक रही है
मन है क्यों इतना अशांत
क्या जाना है अपने सजन से दूर
क्यों है इतना शोर चहुओर
छाया है क्यों ये अन्धकार घनघोर
क्या ये विरहवेदना है
इसलिए व्याकुल है मन
ना वो बोलते है मुझसे कुछ
ना हम कहते है उनसे कुछ
लेकिन बाते बहुत है
जो उनसे करनी है
फिर भी क्यों व्याकुल है हम
अंग अंग सिथिल है
क्यों निराशा है चहुओर
क्यों है इतना शोर चहुओर
छाया है क्यों ये अन्धकार घनघोर


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