इक नाम तेरा ही लब पर क्यों रब से पहले आता है
दिल हर तन्हा रातो में तेरे ख्वाबो में खो जाता है
क्यों सुन नही पाता हु धक धक करती धड़कन को
जो सावन के मौसम में भी मेरी आँखे नम कर जाता है
इक नाम तेरा ही लब पर क्यों रब से पहले आता ह
तड़पता निर्मल मन अपनी तन्हा यादो में
दिल हर तन्हा रातो में तेरे ख्वाबो में खो जाता है
क्यों सुन नही पाता हु धक धक करती धड़कन को
जो सावन के मौसम में भी मेरी आँखे नम कर जाता है
इक नाम तेरा ही लब पर क्यों रब से पहले आता ह
तड़पता निर्मल मन अपनी तन्हा यादो में


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