जिन्दगी क्या है
गुमनाम है
बदनाम है
हैवान है
जो लुटती कभी कभी सरेआम है
ये सुन्दर भी है
कोमल भी है
निर्मल भी है
चंचल भी है
कभी कभी मानव रूपों में भी मिल जाते भगवान् है
पर ये निर्भर करता है हमारी किस्मत पर
हमारे कर्मो पर
हमारी करुना पर
हमारी दया पर
हमारी अन्दर कभी सोती तो कभी जागती हुई मानवता पर
जो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है
की वो करुण है या क्रोधी
वही बदलता है जिन्दगी के इन रूपों को
एक की कोशिश रहती है उसे बनाने की
तो दुसरे की उजाड़ने की
तो मित्रो ये खुद स्वयं पर निर्भर करता है
गुमनाम है
बदनाम है
हैवान है
जो लुटती कभी कभी सरेआम है
ये सुन्दर भी है
कोमल भी है
निर्मल भी है
चंचल भी है
कभी कभी मानव रूपों में भी मिल जाते भगवान् है
पर ये निर्भर करता है हमारी किस्मत पर
हमारे कर्मो पर
हमारी करुना पर
हमारी दया पर
हमारी अन्दर कभी सोती तो कभी जागती हुई मानवता पर
जो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है
की वो करुण है या क्रोधी
वही बदलता है जिन्दगी के इन रूपों को
एक की कोशिश रहती है उसे बनाने की
तो दुसरे की उजाड़ने की
तो मित्रो ये खुद स्वयं पर निर्भर करता है



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