मेरे मन के आँगन की चिरैय्या
जो इधर उधर चहचहाती रहती है
कभी इठला कर कभी शर्मा कर
छिप जाती है किसी कोने में कही
फिर मैं इधर उधर उसका ढूंढता रहता हु झरोखो में कही
मैं पुकारता हु मेरी प्यारी गुडिया कहा हो तुम
वो धीरे धीरे मुस्कराती है कभी ठहाके लगाकर हंसने लगती है
तब उसकी आहट को सुनकर उसको ढूंढ लेता हु
जैसे वो मेरा इक छोटा सा संसार है
उसी में मेरी सारी खुसिया छिपी है
जैसे वही मेरी जिन्दगी है
मेरी नन्ही सी परी
मेरी नन्ही सी परी
जो इधर उधर चहचहाती रहती है
कभी इठला कर कभी शर्मा कर
छिप जाती है किसी कोने में कही
फिर मैं इधर उधर उसका ढूंढता रहता हु झरोखो में कही
मैं पुकारता हु मेरी प्यारी गुडिया कहा हो तुम
वो धीरे धीरे मुस्कराती है कभी ठहाके लगाकर हंसने लगती है
तब उसकी आहट को सुनकर उसको ढूंढ लेता हु
जैसे वो मेरा इक छोटा सा संसार है
उसी में मेरी सारी खुसिया छिपी है
जैसे वही मेरी जिन्दगी है
मेरी नन्ही सी परी
मेरी नन्ही सी परी


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