वो कितनी निःसहाय होंगी जिन्होंने अपने दिल के टुकड़े को मीलो दूर अपने से रखा सिर्फ और सिर्फ उसकी खुशिया पूरी करने के लिए उसके सपने पूरे करने के लिए लेकिन आज मुझे भी ये एहसास हुआ की मेरी माँ कितनी अकेली है जिनकी तन्हाई और जिनका अकेलापन ही आज उनका साथी है उनकी यादो में मैं हूँ उनका नाहा सा दिल का टुकड़ा जो होकर भी उनके पास नही है आज कल उनकी तबियत खराब थी तो मेरी बात मूमी से हुई लेकिन जब आज मैंने बात की तब वो बोल नही पा रही थी इतनी भावुक थी उनके कांपते हुए होठ से जो दर्द भरे शब्द निकल रहे थे वो उनके अकेलेपन और उनके दर्द को ब्यान कर रहे थे और शायद मुझको भी ये महसूस हो रहा था की मेरे पास सब कुछ है पर फिर भी बहुत बदु कमी है जिससे वंचित मैं भी हु और मेरी माँ भी पर मजबूरी एक ऐसी चीज होती है या समय कह सकते है जो मनुष्य के समक्ष ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न कर देते है जिनके सामने हम अपने आपको एकदम निःसहाय और विवश पाते है की सिर्फ सिसकने के सिवा कच भी नही कर सकते और वो दुःख वो दर्द वो अकेलापन मैं भी कही महसूस कर रहा था और उस दर्द से इस पल मैं भी गुजर रहा था पर पर पर...........


Mujhe fr khwahishe jannnat Ki b achhi nii lagti
ReplyDeleteJo meri ma mere mathe ko hans ke chum leti h............
thanks a lot my dear brother and your words also magical which can provide peace and happiness to anybody
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