कुछ लोग अपने ना होकर अपनों से बढ़कर हो जाते है जिंदगी के लिए फिर उनके बिन जीना जिंदगी जैसे नीरस और आशाहीन लगने लगती है ऐसे जैसे उसके बिना जिंदगी ,,,जिंदगी नही ,,,,,, हे राम ।।।।।।। इस दुखरूपी भवसागर से पार करो नही तो इस जीवन का भी अंत कर दो ।।।।।।।।।।। Earthcare Foundation NGO 7:02 PM निश्छल मन No comments Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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