तेरे विरह में भटक रही
मैं अबला हु मैं निर्बल हूँ
ना कोई मुरली है बजती
ना ही है कोई रासरचैया
सब मेरे खून के प्यासे है
कहाँ हो मेरे किशन कन्हैय्या
कहाँ हो मेरे किशन कन्हैय्या
ना वन मेरा ना जन मेरा
नाही है किसी को स्नेह सखी री
ना कोई मुझको सहलाता
मैं रोउ तो रोती ही रहू
ये कैसी स्थिति गंभीर सखी
आ जाओ मेरे मन मोहन
ये गय्या तुम बिन बहुत दुखी
आ जाओ मेरे किशन कन्हैय्या
आ जाओ मेरे किशन कन्हैय्या
तेरी गय्या तुझ बिन व्याकुल
तुमसे मिलने को आतुर है
है तेरे प्रेम की प्यासी
है तेरे प्रेम की प्यासी
निर्मल मन

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