आंसू बहाते रहे
पर पता ना चला
कब तुम चले गये
आंसू छलते रहे
पानी की तरहा
बहते रहे
पर पता न चला
कब तुम चले गये
हम तो जगते रहे
बात करते रहे
बात करते रहे
बात करते रहे
पर पता ना चला
कब तुम चले गये
लोग कहते है कुछ
उनकी बातो का क्या
आस अब भी है मुझको
तेरे आने का ...........
हम लोगो के तानो को सहते गये
पर पता ना चला
कब तुम चले गये
हाथो की चूडिया
माथे की बिंदिया
उनने भी है खनकना छोड़ दिया
सारे श्रींगार को
और मेरे प्यार को
क्यों तुमने बेसहारा
छोड़ दिया
हम तो रोते रहे
मन भिगोते रहे
इस विरहन से तुमने
मुह मोड़ लिया
अब तो यादे
है बाते है
सपने है
और तुम बिन अकेली तन्हा राते है
मेरे चाँद ने निकलना छोड़ दिया
हम बेसुध रहे
आंसू बहते रहे
पर पता ना चला
कब तुम चले गये

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