चोरी से खाते है माखन कन्हैया मेरे गोपियो की मटकी फोड़ देते है कन्हैया मेरे इधर उधर भागते है मैय्या के हाथ नही आते है कन्हैय्या मेरे गउओं के प्यारे ग्वाले है कन्हैय्या मेरे जिनकी मुरली की धुन की दीवानी है दुनिया जिनके बिन गोकुल और वृन्दावन सूना है ऐसे है रास रचैया मेरे जय श्री कृष्णा
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